Giving Yourself More Opportunities To Feel Proud..
रामनवमी के महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
महान ऋषि वाल्मीकि की ‘रामायण’ में राम एक रूप में आये हैं, तो उन्हीं के लिखे ‘योगवसिष्ठ’ में दूसरे रूप में। ‘कम्ब रामायणम’ में वह दक्षिण भारतीय जनमानस को भावविभोर कर देते हैं, तो श्री तुलसीदास जी के रामचरितमानस तक आते-आते वो उत्तर भारत में घर-घर का बड़ा और आज्ञाकारी बेटा, आदर्श राजा और सौम्य पति बन जाते हैं। दरसल ‘राम’ भारतीय परंपरा में एक बहुत ही प्यारा नाम है। वह ब्रह्मवादियों का ब्रह्म है। निर्गुणवादी संतों का आत्मराम है। ईश्वरवादियों का ईश्वर है। अवतारवादियों का अवतार है। राम कबीर और तुलसी दोनों के इष्ट हैं। कबीर कहते हैं कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। वह अविनाशी तो हृदय-सरोवर में ही विद्यमान है। गुरु के तेज से नानक साहेब भी बोलते हैं की जो अंदर बोल रहा है वो कोई और नहीं, वही (राम) है। ये वो नाम है जो वैदिक साहित्य में एक रूप में आया है, तो बौद्ध जातक कथाओं में किसी दूसरे रूप में। लेकिन मुझे आज के संदर्भ में जो सबसे सटीक लगता है वो है विनोबा भावे का कथन। उन्होंने एक बार कहा था- भगवान किसी न किसी गुण या विचार के रूप में अवतार लेता है और उन गुणों या विचारों को ही हम मूर्त रूप दे देते हैं। इसीलिए शायद ये भी कहा जाता है कि भगवान से बड़ा उनका नाम है। हम अपनी प्रार्थनाओं में एक प्रकार से उनके सत्य, प्रेम, करुणा, साहस और अन्य सदगुणों का चिन्तन ही तो करते हैं। इन गुणों का सिर्फ गुणगान नही करना होता है बल्कि इन्हें अपने जीवन मे धारण भी करना होता है।
हम सब के आराध्य श्री राम के प्रागट्य दिवस पर जो हरि (राम) हमारे ह्रदय में सांस ले रहे हैं आइये उंनको और अधिक पोषित करें, बढ़ावा दें और प्रकट करें।
प्रभु श्री राम से प्रार्थना है की आपको सपरिवार उत्तम स्वास्थ्य और परम् सौभाग्य की जल्द ही प्राप्ति हो।
जय श्री राम।