प्रार्थना

परमात्मा इस धरती के हर कण में समाया हुआ है और जिनकी श्रद्धा होती है उंनको चारों तरफ परमात्मा और उनकी अलौकिक शक्तियां नजर भी आती है।

परमात्मा की हर पल में अनुभूति करना, सदैव आनंदित रहना और छोटी-छोटी खुशियाँ में भी असीम प्रसन्नता महसूस करना प्रार्थना है। उग्रता, असंतोष, क्रोध और बेवजह के अहंकार को समाप्त करने का निरन्तर प्र्यास करना प्रार्थना है। अपनी सभी उपलब्धियों को ईश्वर की कृपा का प्रसाद मानना, अपना कर्तव्य पूरी निष्ठा से निभाना, कार्यशील बने रहना और हर हालत मे पूरी ईमानदारी के साथ अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना भी सचमुच प्रार्थना है।

और जब आनंद का भाव स्थायी होने लगे, जब कलह, क्लेश, द्वेष, ईर्ष्या, अहम, लालच और सब भरम कम होने लगे तथा जब आपका उत्पाती मन शांत होने लगे तो मानना चाहिए कि आप जो भी तथा जिस तरह से भी प्रार्थना कर रहे हैं वो असल मे काम कर रही है और प्रभु कृपा हो रही है।

बस यही भगवद कृपा तो असल में परम् आनंद का स्त्रोत है जिसकी फुहार न सिर्फ खुद के जीवन को बल्कि आपके सारे संसार को मधुरता से भर देती है।

मैं अपने प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि आपके जीवन में प्रसन्नता की सुगन्धित हवा चारों ओर सदैव बहती रहे। आप और आपके अपने सदैव हँसते-मुस्कराते रहें। मंगल शुभकामनाएं। 💐

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