Giving Yourself More Opportunities To Feel Proud..
एक आदमी घोड़े पर कहीं जा रहा था। घोड़े को जोर की प्यास लगी थी। दूर कुएं पर एक किसान बैलों से रहट चलाकर खेतों में पानी लगा रहा था।
मुसाफिर कुएं पर आया और घोड़े को “रहट” में से पानी पिलाने लगा, पर जैसे ही घोड़ा झुककर पानी पीने की कोशिश करता, “रहट” की ठक-ठक की आवाज से डर कर पीछे हट जाता। फिर आगे बढ़कर पानी पीने की कोशिश करता और फिर “रहट” की ठक-ठक से डरकर हट जाता।
मुसाफिर कुछ क्षण तो यह देखता रहा,फिर उसने किसान से कहा कि थोड़ी देर के लिए अपने बैलों को रोक ले ताकि रहट की ठक-ठक बन्द हो और घोड़ा पानी पी सके। किसान ने कहा कि जैसे ही बैल रूकेंगे कुएँ में से पानी आना बन्द हो जायेगा। इसलिए पानी तो इसे ठक-ठक में ही पीना पड़ेगा।
ठीक ऐसे ही यदि हम सोचें कि जीवन की ठक-ठक (आपा धापी) बन्द हो तभी हम जीवन भली भांति जी पाएंगे, इसका रस पी पाएंगे, इसका मज़ा ले पायेंगे तो यह हमारी भूल है। हमें भी जीवन की इस ठक-ठक (आपा धापी) में से ही समय निकालना होगा। तभी हम अपने मन की तृप्ति कर सकेंगे।वरना उस घोड़े की तरह हमेशा प्यासा ही रहना होगा।
सब काम करते हुए, सब दायित्व निभाते हुए प्रभु सुमिरन में भी लगे रहना होगा। ठक-ठक तो चलती ही रहेगी 🙏
आप कुछ अगर इसमे जोड़ना चाहें तो कृपया comment सेक्शन में लिखें।