Giving Yourself More Opportunities To Feel Proud..
मैं ऐसा सोचता हूँ कि ईश्वर सर्वव्यापी हैं, एक हैं परंतु उनके रूप अनेक हैं। वे सभी रूपों में है और सभी प्रार्थनाओं को समझते हैं, चाहे वो किसी भी रूप में या भाषा मे हो।
हम सब अपनी पसंद के अनुसार अपने आराध्य देव चुनते हैं और उनकी श्रद्धा पूर्वक पूजा करते हैं। अपनी अपनी समझ के अनुसार ही हम सब की प्रार्थना का लक्ष्य होता है। सब ठीक और उचित है।
लेकिन अगर आपकी प्रार्थना का लक्ष्य अपने दिव्यत्व, स्वयं की श्रेष्ठतायें और छिपे हुए देवत्व को खोजने, महसूस करने और प्रकट करने का हो तो फिर क्या बात है। अगर आप अपने अहंकार, लालच, जड़ता और मूर्खता के बोझ को सिर से उतार फेंक कर ईश्वर के चरणों मे सिर को झुकाते हैं तो उस प्रार्थना का क्या ही कहना।
आपकी मान्यताएं, धारणाएं, जीवन शैली, कार्य, विचार और व्यवहार आपके वातावरण को वसंत-सा प्रफुल्लित बना दें, आप के स्नेह, प्रंशसा एवं प्रोत्साहन की वजह से आपके लोग साहस, उत्साह, प्रसन्नता व सकारात्मकता से भरे रहें, आप शारीरिक रुप से स्वस्थ और मानसिक रुप से प्रसन्न रहें, आपके धन-धान्य और प्रतिष्ठा में लगातार वृद्धि हो तथा आपके हर पल में आनंद व उल्लास बना रहे, ऐसी मेरी प्रभु से आज प्रार्थना है। मंगल शुभकामनाएं 💐💐