प्रार्थना

ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप है तथा उसकी सर्वोत्कृष्ट रचना है-आप। जी हाँ, कण-कण में व्याप्त होने के बावजूद अगर वो कंही सर्वाधिक उपलब्ध हैं तो वो है आपके अपने भीतर।

आपका जीवन, ईश्वर द्वारा दी गयी एक अनुपम और अद्भुत कलाकृति है, उपहार है। हम में से हर एक को निर्धारित मात्रा में मिला हुआ यह उपहार सबके लिये एक समान उनके अखण्ड प्रेम, अनन्त आशीर्वाद, असंख्य शुभकामनाएं व अनेकानेक सम्भावनाओं से भरा हुआ है। हम सबका जीवन एकदम पूर्ण सौंदर्य से परिपूर्ण है।

अगर आप अपनी विशिष्टता, मौलिक विशेषताओं, वशिष्ठताओं को देंखेगे तो पायेंगे कि शायद प्रभु ने आपको बनाने में अपनी संपूर्ण शक्ति लगा दी है।

कुछ लोगों को यही मौलिक शक्ति, सुंदरता और ज्ञान प्रकट हो गया है और दूसरों को यही सच्चाई प्रकट होनी बाकी है। बस शायद यही हम सब मे फर्क है।

प्रार्थना इसी चेतना को जागृत करना है, आत्मजागृति करना, आंतरिक आनंद को हासिल करना है। जो मौलिकता पहले से ही है उसे हासिल करना है उसका विकास करना है। अपने जीवन के संचालन में प्रवीणता हासिल करना है। स्वयं के क्रमशः विकास को करते हुऐ देवत्व और पूर्णता की और अग्रसर रहना ही प्रार्थना है।

हमे ईश्वर के साक्षत्कार की शायद उतनी आवश्यकता नही है। हमे तो अपने आसपास और सामने उपस्थित लोगों में उंनको महसूस करना है। ईश्वर तो एक मायने में सभी के लिए सभी में हर वक्त अवतरित हैं। आपके और दूसरों के भीतर ब्रह्मांश को प्रकट होने का अवसर देना, अपने चैतन्य शक्ति का दिव्य प्रकाश तथा अमृतरस को प्रकट होने देने को ही शायद प्रार्थना कहते हैं।

मेरी आज मेरे आराध्य देव से प्रार्थना है कि आपकी सभी निर्रथक हताशा, निराशा, दुखों, अशांत भावों तथा शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकारों का जल्द ही अंत हो, आपके शुभ संकल्प, इच्छाशक्ति, नेक कार्य और निरंतर किये गए ईमानदार प्रयास – सुख, समृद्धि, दीर्घायु तथा आनंद प्रदायक हों, आप को अपने सभी दिव्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक हों। मंगल शुभकामनाएं 🙏🙏

Lord hanuman temple, CP, New Delhi

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