प्रार्थना

सृष्टि की उत्पत्ति और इसकी स्वयं प्रेरित तथा स्वचालित व्यवस्था ईश्वर के अस्तित्व का प्रमाण है। ये सच लगभग हम सब जानते हैं।

असल मे तो जीवित रहने की लगभग सभी जरूरी क्रियायें मेरे या आपके सोचने या करने से संबंधित ही नहीं है। ये जो लगातार आपके शरीर मे भोजन पचने का कार्य चल रहा है, नाड़ियों में खून बहने की किर्या हो रही है या ये जो बरसों बरस से श्वास चल रही है, क्या लगता है इन सब मे आप का क्या योगदान है? हम तो शायद अपने कार्यों से किसी ना किसी रूप से जीवन या प्रकृति के इस स्वचलित प्रक्रिया में बाधा ही पहुंचाते हैं।

अपने विचार, कार्यों और स्वभाव से नकारात्मकता और बाधाएं पैदा करना, एकदम बंद कर देना प्रार्थना है। अपनी संपूर्णता, श्रेष्ठता, दिव्यता, अपने शुद्धतम अस्तित्व तथा परमांश का जागरण करना प्रार्थना है। या यूँ कहें कि समय निकालकर आत्म अवलोकन करना ही प्रार्थना है। आप अगर गौर करेंगे तो देखेंगे कि संसार मे जितने भी बुद्ध या महात्मा हुए हैं वे सभी अपनी बुद्धि, चिंतन एवं आत्म अवलोकन से ही हुए हैं। अपनी गलतियों से सीखने और अच्छे किए गए कार्य को और बेहतर ढंग से करने का निरन्तर प्रयास ही हमारी सबसे उत्तम प्रार्थना है।

मेरे आराध्य प्रभु से विनती है कि आप की सभी स्वचलित प्राकृतिक क्रियाएं सामान्य रूप से चलती रहें। आप सदैव स्वस्थ रहें। आपकी छुपी हुई सरलता, सहजता, बुद्धता और समर्थता जल्द ही प्रकट हो जाये। आपके घर आंगन और संसार में प्रसन्नता की सुगन्धित हवा चारों ओर बहती रहे।

मंगल शुभकामनाएं 🙏🙏

Lord Hanuman Temple, New Delhi, India

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