प्रार्थना

हम सब जानते हैं कि ईश्वर तो सभी को सहज रूप से उपलब्ध हैं। और सबसे ज्यादा उपलब्ध तो आपके भीतर ही है।

अपरिमित आनन्द, अपार शान्ति और अद्भुत रस, ऊर्जा के रूप में –  आपकी चेतना के रूप में वो सदैव आपके भीतर ही मौजूद हैं।

आवश्यकता है तो अंतस में गोता लगाने की। आवश्यकता है खुद को अपने वास्तविक स्वरूप का बोध करवाने की – अपनी सनातनता, नित्यता, शाश्वत सत्य और ईश्वरीय विधान को समझाने की। आवश्यकता है सोये हुए इसी सामर्थ्य को – चैतन्य को जगाने की।

निरन्तर प्रार्थना आपको अपने इसी वास्तविक स्वरूप का बोध करवाती है। प्रार्थना उस परम आंनद, असीमित सामर्थ्य और ऊर्जा के स्रोत को पहचानने का प्रयास है जो आपके भीतर छुपा है। प्रार्थना का मतलब न सिर्फ स्वयं में ईश्वरीयतत्व को ढूंढना है बल्कि अन्य सभी मे भी उनके होने पर विश्वास करना है।

मेरे आराध्य प्रभु से प्रार्थना है कि वो आपको स्वयं की भूमिका, उद्देश्य और महानता को जल्द ही पहचानने में सहायता करें जिससे आपकी वैचारिक एवं व्यवहारिक उच्चता और श्रेष्ठता सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन जाएं। आज और आने वाला प्रत्येक नया दिन आपके लिए अत्यंत सुखद रहे,  आपका घर-संसार खुशियों से सदैव भरा रहे, ऐसी सब मेरी हार्दिक शुभकामनाएं हैं।

Lord Hanuman Temple, New Delhi

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