प्रार्थना

ईश्वर शब्द का सही अर्थ लगा पाना ही मेरे आपके बस की बात नही है, फिर उंनको ब्रह्मर्षियों की भाँति प्राप्त करने की बात तो छोड़ ही दें। हम सब के लिये तो बस इतना समझना ही काफी है कि जीवन और परमात्मा समानार्थक हैं। परमात्मा ही तो है – यानी के जीवन ही तो है जो आपके भीतर है – बाहर है, वृक्षों में है, धरती के नीचे है, बादलों से परे है। यह सारा अस्तित्व जीवन होने का उत्सव ही तो है।

बस इसीलिए अपने जीवन को जितना सम्भव हो सके उतनी संपूर्णता से, गहनता से, आनंद से जीना ईश्वर की प्रार्थना है। जीवन मे प्राप्त हर दिन का उत्सव मनाते हुए – हर वक्त और हर हासिल चीज़ को भरपूर जीते हुए – अपने जीवन को श्रेष्ठतम बनाना, यानी के खुद को सीढ़ी के सबसे निचले पायदान से सबसे ऊपर वाले पायदान तक ले जाने का निरन्तर प्रयास करना ही प्रार्थना है।

ईश्वरीय उपहार स्वरूप मिला हुआ ये जीवन इतना दिव्य, पवित्र और स्वयं में इतना परिपूर्ण है कि संसार की कोई भी घटना या कमी इसकी सुंदरता और पूर्णता को छिन्न-भिन्न नही कर सकती है।

इस जीवन के प्रति, जगत के प्रति, प्रकृति के प्रति, समस्त सृष्टि के प्रति यानी के परमात्मा के प्रति सदैव एक अनुग्रह का बोध रखना ही सच्ची प्रार्थना है।

मेरे आराध्य प्रभु से प्रार्थना है कि आपके जीवन की श्रेष्ठता, उच्चता, सार्थकता, सकारात्मकता, संतुलन, सहजता तथा पूर्णता सभी के लिये प्रेरणादायक और अनुकरणीय हो जाये। आपका हर नया दिन आपके लिये कोई शुभ समाचार लाये, अच्छा स्वास्थ्य और भव्य सफलता लाये। मंगल शुभकामनाएं 💐

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