प्रार्थना

जन्म से ही अपूर्व सामर्थ्य, अतुल्य तेज व अन्तहीन संभावनाओं से परिपूर्ण मानव जीवन परमात्मा का एक दिव्य उपहार है। ये तो हम सब जानते हैं।

मगर असली सवाल ये है कि इस उपहार स्वरूप मिले अमूल्य जीवन का असली लक्ष्य क्या है? मेरे विचार में तो प्रत्येक क्षण को जी भर के, गदगद, रसविभोर हो के जी लेना, इसको निचोड़ लेना ही प्रमुख उद्देश्य है। क्योंकि अगर असल मे देखा जाये तो एक क्षण से ज्यादा हमें एक बार मे कभी भी उपलब्ध नहीं है। अगले क्षण की कोई गारंटी नही है। और ये क्षण भी कोई स्थिर बात थोड़े ही है, बस एक दौड़ती हुई, भागती हुई, निरंतर शून्य में खोती हुई प्रक्रिया का हिस्सा है।

ये वर्तमान क्षण जो भूत और भविष्य से मुक्त, शांत और स्थिर है उसे पूर्णता और समग्रता से जीना ही हमारा परम उद्देश्य है।

इसीलिए जो भी इस प्राप्त क्षण में करना है वो पूरी तन्मयता से, पूरे आनन्द से करें। फिर चाहे वो लौकिक-पारलौकिक अनुकूलताओं का सृजन हो, अपने भीतर के अव्यक्त देवत्व को व्यक्त करना हो, नृत्य करना हो या फिर कोई युद्ध करना हो। जीवन के हर क्षण को उत्सव मानना और पूरी तरह से इसमे तन्मयता से हिस्सा लेना और इसे आत्मसात करना ही हमारा उद्देश्य है।

इसीलिए आज अभी जो भी उपलब्ध है उसको आनंद से जीना, प्रकाश की ओर गतिमान बने रहना, अपनी श्रेष्ठताओं को श्रेष्ठतम बनाने का निरन्तर प्रयास करना, अपने आचरण और प्रयासों से अपने चारों तरफ स्वर्ग का निर्माण करना उन्ही की प्रार्थना है।

हमारा परमात्मा किसी दूसरे लोक में वास नहीं करता, अभी और यहीं है, चारों तरफ कण कण में है। अपने अंदर के इसी ईश्वर का अनुभव – जानकारी होना तथा सृष्टि के प्रत्येक घटक का आदर करना ही ईश्वर की पूजा है, भक्ति है, इबादत और आराधना है।

अपने जीवन को उथलेपन, आडंबर और पाखंड की बजाये जो सृष्टीगत सत्कर्म हैं उनमे लगाना ही आपका धर्म है – उनकी सच्ची प्रार्थना है।

मैं अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि आप का जीवन सदैव उत्सव बना रहे, आपका शरीर स्वस्थ रहे, आपका चित्त प्रसन्नता से भरा रहे तथा आपका घर आंगन आनंद, प्रेम और समृद्धि की प्रचुरता से सदैव भरा रहे। मंगल शुभकामनाएं 💐

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