प्रार्थना

मेरी समझ ये कहती है कि ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं है, जिसको हमे खोजना है। नही। वे तो इस जगत के प्रत्येक कण-कण में मौजूद हैं। उन्हें तो बस महसूस करना है।

आपके भीतर जो आनंद, प्रकाश, सुगंध, प्रेम, चेतना और सम्भावनायें भरी हुई हैं, वे सब परमात्मा की ही निशानी हैं। आपके चित्त की जीवंत दशा ही ब्रह्मतत्त्व है। जीवन का निरंतर विकास और विस्तार करना, अपनी जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी से निभाना तथा हर हाल में सत्कर्म करते रहना ही उनकी अभिव्यक्ति है।

इसीलिए मैं दुबारा कहता हूं कि ईश्वर को मानना नहीं है, वरन अपने भीतर उनका अनुभव करना है और इस सुंदर अनुभूति के आनंद के कारण जब आप सारे जगत के प्रति कृतज्ञ होने लगें तो ये जो कृतज्ञता का अनुभव है, यही परमात्मा का अनुभव है।

यही वह परम् धन्यता का समय होता है जब आप महाऋषि हो जाते हैं, देव हो जाते हैं, सम्राट हो जाते हैं। आपके सब अभाव, क्लेश और दुविधायें खत्म हो जातें हैं और आपको अत्यंत वैभव, परम् सुख – शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

शायद आपकी इसी अवस्था को स्वर्ग कहा गया है, मोक्ष कहा गया है और निर्वाण कहा गया है।

मैं अपने आराध्य प्रभु से आज प्रार्थना करता हूँ कि वे आपके सभी शुभ संकल्पों और शुभ कार्यों को पूरा करने में आपकी सहायता करें जिससे वे दुगनी गति से सफल हो सकें।

परिपूर्ण, संतुलित, ख़ुशहाल और अत्यंत सौभाग्यशाली जीवन की कामनाओं के साथ साथ मैं उनसे प्रार्थना करता हूँ कि आपका शरीर, चित्त और मन स्वस्थ बने रहें तथा आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता, योग्यता, उपयुक्तता और आपके उत्साह में दिन दूनी रात बढ़ोतरी हो। मंगल शुभकामनाएं 💐

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