प्रार्थना

मेरे विचार में परमात्मा का एक अर्थ है हमारे अपने अस्तित्व की ऊर्जा, हमारा आनन्द, प्रेम एवं आंतरिक सौंदर्य, शक्ति, कौशल तथा हमारा बुद्धत्व, जो हम सब में समाहित है। जिसे हम बहकने की वजह से, मूर्खता, अहंकार या शायद उलझनों के कारण जान नहीं पाते हैं।

बस अपने भीतर झांकना है और यह देखना है कि अपने भीतर के परमात्मा को बाहर कैसे लाएं। हम सब के लिए शायद यही परमात्मा प्राप्ति और मिलन है तथा उनकी सच्ची प्रार्थना है। कोई कुछ भी कहे, मुझे तो यही परम ज्ञान की प्राप्ति लगती है।

बुद्धों, सन्तों, मनीषियों, सिद्ध तथा अत्यधिक खुश, सफल और आनंदित लोगों को देखकर हम यही सोचते हैं कि हमारा इतना सौभाग्य कहां। ये सुख, सम्पन्नता, अनन्तज्ञान, अनन्तबल, कुशलता तथा इतना आत्म प्रकाश सबके लिए कहां। ये तो कुछ बिरलों के लिए ही है। नही, प्रत्येक मनुष्य में संभावना है परमात्मा होने की, उतना ही सफल होने की।

ईश्वर ने तो अपने समकक्ष बन सकने के सभी गुण, साधन और शक्तिस्रोत दे रखे हैं, मगर हम क्या बनते हैं, यह हमारी आकांक्षाओं, संकल्प, कोशिशों, पुरुषार्थ की दिशा तथा स्वरूप पर निर्भर करता है।

मैं अपने आराध्य प्रभु से आज प्रार्थना करता हूँ कि वे जल्द ही आपका जीवन अहोभाव, आत्मविश्वास तथा ईश्वर विश्वास से लबालब भर दें जिससे आप को भी अन्य महान लोगों की भांति देवत्व, परम् ज्ञान, आनंद, आलोक और सफलता प्राप्त हो सके।

अत्यंत खुशहाल और सौभाग्यशाली जीवन की कामनाओं के साथ साथ मैं आज उनसे प्रार्थना करता हूँ कि आप सदैव स्वस्थ रहें और दीर्घायु हों। मंगल शुभकामनाएं 💐

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