प्रार्थना

जैसी अनंतता और विराटता परमात्मा के पास है, वैसी ही अनंतताएं और सम्भावनायें उन्होंने हमें भी दी हैं। सबको ही दी हैं। हम सभी में अनन्त ऊर्जा, असीमित शक्तियां और अतुल्य-सामर्थ्य विद्यमान है। हमारे जीवन का प्रत्येक पल अंतहीन संभावनाओं से भरा है। हमारे लिये जगत में कुछ भी दुर्लभ नही है।

मगर हम खुद को अपरिपक्व, अपूर्ण, असन्तोषजनक तथा असहाय ही मानते रहते हैं। इसका एक प्रमुख कारण है कि हम ईश्वर द्वारा दी गयी शक्तियों को पाना ही नही चाहते हैं। हम बुद्ध होना ही नही चाहते हैं। हम अपने जीवन को सरल, सहज और सफल बनाना ही नही चाहते हैं। हम उन अंतहीन दिव्य संभावनाओं को ढूंढना ही नही चाहते हैं।

नही तो स्वंय में मौजूद परमात्मतत्व, अमरता के स्त्रोत, अनन्तता और अतुल्य सामर्थ्य की खोज करने में और जाग्रत करने में कोई सालों साल थोड़े ही लगते हैं।

असल मे तो हम अपने स्वार्थ, अहंकार, मूर्खता और मूढ़ता के कोलाहल में ईश्वर (आत्मा) की आवाज, उनके दिशा निर्देशों और राय को सुन-समझ ही नही पाते हैं और न ही चेष्टा ही करते हैं। बल्कि इसे समझने की बजाए हम अंदर से आ रही सम्मती और आवाज को दबाने का काम करते हैं। जो धीरे धीरे खत्म होती चली जाती है।

हमारे जितने भी दु:ख हैं, क्लेश हैं, चिंताये हैं और विफलताएं हैं उनका शायद एक कारण है – हमारा स्वयं को नही जानना या पहचानना। स्वयं को सही से खोजने और आत्म विकास के प्रयास को निष्ठा पूर्वक नही करना ही हमारी दुर्गति का मूल कारण है।

मैं आज प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि वे आप पर अनुग्रह करें – कृपा करें जिससे आप अपने आत्मविश्वास, अपने सामर्थ्य, अपनी दिव्यता और सकारात्मकता को पहचान कर – जाग्रत कर चहुंमुखी सफलता प्राप्त कर सकें।

आपके उत्तम स्वास्थ्य से परिपूर्ण लंबी आयु की कामनाओं के साथ साथ मैं आज उनसे प्रार्थना करता हूँ कि आपका जीवन हमेशा अत्यंत संतोषमय, उल्लासपूर्ण और सौभाग्यशाली बना रहे। मंगल शुभकामनाएं 💐

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