आपका जीवन हमेशा अत्यंत संतोषमय, उल्लासपूर्ण और सौभाग्यशाली बना रहे।

अज्ञान और अहंकार दोनों ही बड़े दावेदार हैं। वह दावे करते हैं। कहे चले जाते हैं कि यही ठीक है। जिन्हें कुछ भी पता नहीं है, वे ठीक होने के बड़े दावे करते चले जाते हैं।

बस इन्ही दावों से बचना है और अगर दावा ही करना हो तो सिर्फ अज्ञानी होने का करना है। जीवन मे प्रत्येक पल अमुल्य और दुर्लभ है। अपने आत्म-ज्ञान के अभाव, अहंकार और अज्ञानता को स्वीकार करते हुए अपने बचे हुए जीवन मे, जो अभी भी आपके वश में है उस मे जितना सिख सकते हैं उसको सीखना, अपने जीवन को अधिक से अधिक सुंदर, सार्थक, सरल एवं सहज बनाना ही प्रार्थना है। अपने अंदर विद्यमान परमतत्व को महसूस करना अनुभव करना उससे जुड़ जाना और जुड़े रहना ही प्रार्थना है।

निरंतर आनंद, प्रसन्नता, अपने और दूसरों के अस्तित्व की स्वीकार्यता, अपनी जिम्मेदारियों का पूरे मन से निर्वाह करते रहना तथा शुचिता भरे कार्यों को निंरतर करते रहना ही प्रार्थना है। हर हालत में स्वंय को ईश्वरीय प्रवाह के हवाले कर के रखना प्रार्थना है।

मैं अपने आराध्य प्रभु से आज प्रार्थना करता हूँ कि आपके असंतोष, उद्वेग, द्वंद और आपकी सभी बीमारियों तथा समस्याओं का जल्द ही अंत हो जाये।

मैं आज प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि आपका जीवन हमेशा अत्यंत संतोषमय, उल्लासपूर्ण और सौभाग्यशाली बना रहे। वे आप पर अनुग्रह करें – कृपा करें जिससे आप अपनी सुप्त पड़ी हुई दिव्यता, चेतना और शक्तियां जागृत कर सकें तथा अपने सामर्थ्य को पहचान कर जल्द ही चहुंमुखी सफलता प्राप्त कर सकें। मंगल शुभकामनाएं 💐

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