परमात्मा और परमानंद को अपने भीतर हर हाल में जीवंत रखना ही हमारी सबसे बड़ी प्रार्थना है।

ईश्वर और आनंद दोनो ही कोई वस्तु नही हैं, जो भविष्य में कंही आपको मिल जाएंगे। ये तो जन्म के साथ ही हमारे हृदय की धड़कन में बसे हुए हैं।

परमात्मा और परमानंद को अपने भीतर हर हाल में जीवंत रखना ही हमारी सबसे बड़ी प्रार्थना है।

प्रेम से भरे रहना, प्रसन्नचित रहना, शांत रहना और उत्साहित बने रहना ही प्रार्थना है। स्वयं की कमियों, मूर्खताओं और दुगुर्णों का निरन्तर चिंतन तथा आत्मा-शुद्धि और एकाग्रता का आवाहन ही हमारी प्रार्थना है।

अपने क्रोध और अहंकार पर काबू पा लेने तथा अपने जीवन को अधिक से अधिक सरल, सहज, उपयोगी और सार्थक बनाने के प्रयास को ही शायद प्रार्थना कहते हैं।

मैं अपने आराध्य प्रभु से आज प्रार्थना करता हूँ कि आप सदैव स्वस्थ बने रहें तथा प्रेम की फुहारें आपके जीवन और संसार को मधुरता से भरे रखें और आप में खुशी का भाव स्थायी हो जाये।

आपके सफल, उल्लासपूर्ण और सौभाग्यशाली जीवन की कामना के साथ साथ मैं आज उनसे ये भी प्रार्थना करता हूँ कि आपकी उत्पादक शक्ति एवं रचनात्मक बल में कई गुणा की वृद्धि हो तथा आपके सभी प्रयत्नों को अपेक्षित सुसयोंग प्राप्त हो। मंगल शुभकामनाएं 💐

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: