प्रार्थना

एक बार पुनः याद दिला दूँ की आपके भीतर जो जीवन है, वही अमृत की बूंद है, जो बोध है, वही बुद्धत्व की किरण है, तथा आपके भीतर जो शुचिता, पवित्रता, करुणा और आंनद है, वही परमात्मा की झलक है और कुछ नही।

एक बात और याद दिला दूँ की शायद हमारा परमात्मा के किसी विशेष रूप से कोई खास लेना देना नही है। हमारा असल मे वास्ता है उस ईश्वरत्व से, भगवत्ता से, दिव्यता और उस अपूर्व ऊर्जा से जिससे यह सारा जगत चल रहा है, इस सृष्टि की व्यवस्था निरन्तर चल रही है और जिससे हमारी सांसे अभी भी चल रही है।

इसीलिए चाहे कुछ मिनटों के लिए ही सही पर आडंबरहीन हो कर नम्रतापूर्वक अपनी साँस की लय से जुड़ जाना, इस दिव्य प्रकृति से जुड़ जाना, धूप और ठंड से जुड़ जाना, अपूर्व ऊर्जा से जुड़ जाना और जुड़े रहना, अपनी हर आती जाती साँस के साथ इस सहज भाव को अनुभव करना की आप में और सभी दूसरों में ब्रह्मत्व मौजूद है, सही मायने में उनकी प्रार्थना है।

अपने मनोभाव सकारात्मक बनाये रखना और सभी दूसरों के प्रति सराहना का, आदर का और प्रोत्साहन का व्यवहार बनाये रखना ही प्रार्थना है। अपनी चेतना के विस्तार में जुटे रहना तथा अपने स्वभाव, जीवनशैली, दिनचर्या और आदतों में निरन्तर सुधार करते रहना ही आपके और मेरे लिये प्रभु की सच्ची प्रार्थना है।

मैं आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ की आपके भीतर ईश्वरीय अनुभूति की निरंतरता बनी रहे – बढ़ती रहे तथा आपके जोश, उत्साह और आनंदोल्लास में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो।

मेरी उनसे आज ये भी प्रार्थना है की आपके सभी विलम्ब, आपकी सभी विषमताएं और विपत्तियां आपके लिए आखिर में लाभकारी, हितकारी, उपयोगी और ईश्वर का वरदान साबित हों। आपकी हर कल्पना, हरेक विचार, प्रत्येक शुभ संकल्प और कार्य लगातार पूर्ण हों – सिद्ध हों।

आप को शतायु, स्वस्थ और सानन्द जीवन के लिये ढेर सारी मंगल शुभकामनाएं 🙏

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