Giving Yourself More Opportunities To Feel Proud..
कल किसी ने मुझ से पूछा कि सब सिख गए हो या अभी भी कुछ सीखना बाकी है। ये बड़ा सवाल था कि लगभग दो तिहाई जीवन सफलता पूर्वक जीने के बावजूद भी क्या सच मे कुछ बचा है सीखने के लिये। जवाब था – बहुत कुछ।
मुझे लगता है कि अभी भी हर अच्छी बुरी स्थिति में सरल, सरस और सहज बने रहना सीखना है। हर परिस्थिति में तटस्थ रहने का, बस, जो है, जो हो रहा है-उसका साक्षी बने रहना सीखना है।
समर्पित रहना सीखना है। एक बड़ी योजना के प्रति समर्पण करते हुए हर परिस्थिति में विश्वास, आशा और होंसला बनाये रखना सीखना है।।
आकाश जैसे मौसम के निरंतर बदलते रहने के बावजूद शिकायत नही करता, खिन्न नही होता – इस स्वभाव में निरन्तर रहना सीखना है।
सचमुच ह्रदय को शिकायत-शून्य कैसे बनाया जाये ये सीखना बचा हुआ। एक सतत कृतज्ञता, कि जो मिला है मुझ अपात्र को, वह जरूरत से ज्यादा है, असीम है। जो मुझे मिला है, वह उसका प्रसाद है, मेरी योग्यता नहीं। जो मैंने पाया है, वह जरूरत से ज्यादा है। इस अहोभाव में निरन्तर भरे रहना सीखना है। परमेश्वर का आभारी और अनुगृहीत बने रहना ही सही प्रार्थना है, शायद ये सीखना-समझना बचा हुआ है।
उस संत-सनातन परम्परा का पालन करना भी सीखना है जिसके लिये प्रकृति-परमात्मा, नियंता-नियति, विधि-व्यवस्था तथा सर्वत्र सभी जीवों में परमात्मतत्व विद्यमान है। सर्वत्र सभी नाम रूपों में एक ही परमात्मा विस्तृत हैं और हम सब एक का ही विस्तार हैं, ऐसी एकात्मत-भाव सिद्धि का संवाहक बनना शायद बचा हुआ है।
उस ब्राह्मण, मुनि और भिक्षुक के जैसे बनना रहना सीखना है जिसमे न दंभ है, न अभिमान है, न लोभ है, न स्वार्थ है, न तृष्णा है और जो क्रोध से रहित है, प्रशांत है, शांत – स्थिर है तथा निश्चल एवं शांत वृत्तिवाला है और जिसके विचार और व्यवहार में पूरा सामंजस्य स्थापित हो चुका है मगर फिर भी सदैव पुरुषार्थ पारायण रहते हैं।
ये सीखना समझना भी शायद बचा हुआ है की परमात्मा है या नही ये ये सवाल ही नही है, सवाल तो ये है कि हमारा हृदय प्रार्थना से भरा हुआ है या नही। करुणा, प्रेम और प्रार्थना को मूल स्वभाव कैसे बनाया जाये ये सीखना है।
मैं आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ की ईश्वर की करुणा-कृपा का अनुभव आपको निरंतर बना रहे तथा आपके जीवन की दैनिक क्रियाओं में अधिक सकारात्मकता, सहजता और सरलता आ जाये। उन की कृपा-आशीष-अनुग्रह से आपके सभी असाध्य, असंभव और दुर्गम से लगने वाले काम सुगम हो जायें, संभव और साध्य बन जाये।
आपके उत्तम स्वास्थ्य, प्रसन्नचित मनोदशा और समृद्ध जीवन की कामनाओं के साथ साथ मैं आज उनसे प्रार्थना करता हूँ कि जल्द ही आप अपने उच्चतम लक्ष्यों को प्राप्त कर पायें। मंगल शुभकामनायें।