रविवारीय प्रार्थना – आपके पाप-पुण्य संचित होने की बजाये आपके कर्मफलों का भुगतान तुरंत होने लगे।

कड़ी धूप में, बारिश में या ठंड में एक पैर पर खड़े रह कर हमे अपने आराध्य को मनाने की जरूरत नही है, बस जो भी हमे आता है जो भी हमारी योग्यता है, प्रतिभा है उसे रुचि से, गम्भीरता से पुरी क्षमता और पूरा मन लगा कर करना ही उनकी प्रार्थना है। अपने कर्तव्यों को अपने आराध्य का प्रसाद समझ कर – प्रेम से और निष्ठा से वहन करना ही उनकी सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना है।

हर क्षण अपने आप को एक सम्पूर्ण पैकेज के रूप में प्रस्तुत करना, अपने अस्तित्व को गौरवपूर्ण बनाये रखना तथा अधिक से अधिक स्पष्ट और योग्य बनते जाना ही उनकी प्रार्थना करना है।

हर हाल में हंसते, मुस्कराते और बोलते रहना, स्वयं को सक्रिय, स्फूर्तिवान, सरल, सहज, तरोताजा, सुंदर, दिलचस्प एवं मनभावन बनाये रखना, उन्ही की प्रार्थना है।

अपनी वर्तमान प्रतिबद्धताओं, आकांक्षाओं और इच्छाओं में तालमेल बैठाते हुए अपने आपको एक छोटे से बीज से एक विशाल वृक्ष में परिवरतित करने की यात्रा को निरन्तर चाव और जोश से जारी रखना – उनकी प्रार्थना करना ही है।

मैं आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि आपके पाप-पुण्य संचित होने की बजाये आपके कर्मफलों का भुगतान तुरंत होने लगे, आपकी सारी सांसारिक गतिविधियां सहजता से बिना किसी दबाव और चिंता के निबटने लगे। आपको कभी भी कोई उद्विग्नता और किसी भी प्रकार का अभाव कभी नही सताये और आप सर्वदा विजयी हों, ऐसी मेरी कामना है।

आपके घर संसार की धरती सदैव बहुरंगी सपनों से सजी रहे, हर आती जाती ऋतु आपके जीवन मे उत्सव और उल्लास के रंग भरती रहे तथा आपके घर आंगन में अनगिनत खुशियां सुबह शाम झरती रहें, इन्ही सब मंगलकामनाओं के साथ साथ मैं आज उन ये भी प्रार्थना करता हूँ आपका शरीर पुष्प के समान हल्का और रोगमुक्त बना रहे तथा आप शतायु हों। मंगल शुभकामनाएं।

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