रविवारीय प्रार्थना – भगवान हमसे कभी दूर नही जाते हैं। उनकी विस्मृति हो जाती है। केवल उनकी स्मृति भी ठीक से आ जाये तो जो भगवान बैकुण्ठ में, कैलाश में और ऋषियों के हृदय में विराजमान हैं वे आपको स्वयं में, सब जगह तथा सभी मे दिखने लगते हैं, महसूस होने लगते हैं।

खेल कर आने के बाद मिट्टी से सने हुए छोटे बच्चे को माँ तपाक से अपनी गोदी में उठा लेती है क्योंकि उसकी दृष्टि केवल अपने बच्चे की तरफ होती है, बच्चे के मैल की तरफ नहीं। बच्चा भी स्वयं को मैला नही समझता और जैसे ही मौका मिलता है झट से माँ की गोद मे चढ़ जाता है। माँ उसे साफ करे या न करे, बच्चे को तो केवल माँ की गोद ही चाहिये होती है उनका आशीर्वाद ही चाहिये होता है।

हम जानते ही हैं कि हम सभी परमात्मा के सनातन अंश है और उनका स्वरूप है। मगर मेरा मानना है कि हमने अपने इस आनंदस्वरूप पर अपनी चालाकीयों, बेईमानियों, लालच और अहंकार की मलिन चद्दर ढक ली है जिससे हमारा चैतन्य स्वरूप कंही गायब सा हो गया है।

मगर जैसे ही हम अपनी नकारात्मक सोच, कपट-व्यवहार तथा विकृत मानसिकता को त्याग कर अपने शुद्ध आत्मभाव मे आ जाते हैं, जैसे ही हम भगवान के साथ एकता स्थापित कर लेते हैं, उसी क्षण उनका आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है, शरण प्राप्त हो जाती है, उसी क्षण हम निर्भय हो जाते हैं, अमृत उपलब्ध हो जाता है, सब जगहें प्रकाशित हो जाती हैं तथा उसी क्षण से ह्रदय में शांति और आनंद का स्त्रोत बहने लगता है।

भगवान पराये नहीं हैं। वे तो सबसे अधिक आत्मीय हैं। इसीलिये सभी प्रकार के पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर परमात्मा एवं प्रकृति के साथ अपने रिश्तों को सुधारने, समझने और पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया प्रार्थना है। उनके अस्तित्व और उनके अनुग्रह का स्वंय को बोध करवाना प्रार्थना है। स्वंय को परमात्मा की सहजता, उनके सन्तुलन और साह्चर्यपूर्ण अवधारणा को महसूस करवाने का नाम प्रार्थना है।

मैं एक बार दुबारा याद दिला दूँ की भगवान केवल हमारे अपनेपन, हमारे भाव को देखते हैं, विचार देखते हैं, कर्तव्यपरायणता को देखते हैं, प्रेम, निश्छलता और निष्ठा को देखते हैं, अर्पण और समर्पण को देखते हैं और शायद हमारी सकारात्मक एवं आनंद ऊर्जा को देखते हैं।

इसीलिये मेरे और आपके लिये अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान, वचनों का पालन, कर्तव्यपरायणता, नामजप, निरन्तर आत्म जागरण, आत्म-संवरण, सत्संग और सत्पुरूषों का सान्निध्य – यही सब प्रार्थना है और यही सब उन्हें पाने के रास्ते और उपाय हैं।

आपकी सभी मंगल कामनाएं एवं प्रार्थनायें पूरी हों इसी आशा के साथ आज मैं मेरे आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ की आपका जीवन जल्द ही स्फूर्ति, दैव्य सामर्थ्य, सार्थकता, सकारात्मकता और पूर्णता: से भर जाये तथा आने वाले प्रत्येक नया दिन आपके लिये शुभ समाचार लाये, अच्छा स्वास्थ्य, आनंदोत्सव और भव्य सफलता लाये। मंगल शुभकामनाएं 💐

श्री राम दूताय नम:। ॐ हं हनुमते नमः।

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