Giving Yourself More Opportunities To Feel Proud..
हम सब जानते हैं कि जंहा जहां पवित्रता है, सद्विचार, सद्भाव और सत्कर्म है, स्वभाव में विनम्रता, वाणी में मधुरता और व्यवहार में शालीनता है, सच है, नेकदिली है, सरलता और सहजता है, जंहा कर्तव्यपरायणता है, संतोष है, शांति है और आनन्द है वंही ईश्वर है और इसके विपरीत जंहा अनैतिक आचरण है, दुर्भावना और दुराचार है, जंहा पाखण्ड है, जंहा अहंकार, ख़ुदग़रज़ी, क्षुद्रता, बेईमानी, लोलुपता और छल-कपट है वँहा ईश्वर कतई नही है।
क्या ये बातें समझने के लिए आपको कोई विशेष ज्ञान या तकनीकी की जरूरत है?
परम् की कामना यानी के उनकी प्रार्थना तभी सम्भव हो सकती है, जब आपका मन राग-द्वेष, छल कपट से मुक्त हो जाये और सोच तथा दैनिक गतिविधियां सार्थक एवं पवित्र हो जायें।
ईश्वरीय अनुभव, आत्मज्ञान, आत्मजागृति, असाधारणता और अलौकिकता की प्राप्ति के लिये और उनके अनुग्रह एवं कृपा का पात्र बनने के लिए आपको पूर्ण रूप से बदलना होगा। केवल रटे रटाये सतही तौर के दिखावे मात्र के लिये किये गए प्रयासों से ये प्राप्त होने वाले नही हैं।
इसीलिये उन्हें सब जगह हाज़िर-नाज़िर मान कर अपनी उच्चतम भावना के साथ छोटे से छोटा कार्य करना, अपने कर्तव्यों – अपनी प्रतिबद्धताओं का श्रद्धा, समर्पण और निष्ठा से पालन करना ही दैनिक जीवन मे उनकी सर्वोच्च प्रार्थना है। प्रार्थना का मतलब है सहज, सरल एवं शांत हो जाना। प्रार्थना का मतलब है अपने वचनों को मधुर, व्यवहार को शिष्ट तथा कर्मों को श्रेष्ठ बना लेना।
सब मंगल कामनाओं को पूर्ण करने वाले मेरे आराध्य प्रभु से आज मेरी प्रार्थना है की आपके व्यक्तित्व को जल्द ही एक नई दिशा प्राप्त हो।
आप सदैव प्रगति के पथ पर उत्साहपूर्वक बढ़ते रहें और आशापूर्ण सुंदर भविष्य के लिए सतत सार्थक प्रयास करते रहें तथा आने वाला प्रत्येक नया दिन आपके जीवन में ढेरों ढेर खुशियां और अनेकाे सफलताएँ लेकर आये, इन्ही कामनाओं के साथ साथ मैं आज उनसे ये भी प्रार्थना करता हूँ कि आप सदैव स्वस्थ रहें और दीर्घायु हों। मंगल शुभकामनाएं 💐