रविवारीय प्रार्थना – बुरे विचारों और गलत कर्मों से डरना है, ईश्वर से नही। ईश्वर तो फिर भी माफ कर देते हैं, कर्म नही।

ईश्वर की बनाई ये सृष्टि उन्ही के द्वारा बनाये गए विधि-विधान से चलती है, ऐसी मेरी सोच है। उम्मीद है आप भी इस विचार से सहमत होंगे।

इस संसार मे अनेक ईश्वरीय विधानों में से एक विधान है कर्मफल। हर धर्म ने चाहें वो कोई भी पद्धति या मान्यता का अनुसरण करता है इस नियम को जरूर मानता है। हिंदू धर्म में तो यंहा तक मान्यता है कि भगवान स्वंय भी कर्म के फल से नहीं बच पाए तो हम क्या चीज हैं। हम सब इन पौराणिक कथाओं को जानते ही हैं।

अक्सर लोग कहते हैं कि आप बुरा करेंगे तो नरक में चले जायेंगे, या अच्छा करेंगे तो स्वर्ग में जायेंगे। मुझे नही पता कि स्वर्ग या नरक हमारे भूगोल में या ज्योंग्राफी में कहीं हैं भी या नही पर मैं एक बात जरूर जानता हूँ की हम जैसा करते हैं, सोचते हैं, भाव रखते हैं ठीक उसके अनुकूल या उसके जैसा ही हम बनते चले जाते हैं, हमारे भीतर कुछ घना होता चला जाता है, उसी के अनुरूप हमारे चैतन्य का निर्माण होता चला जाता है तथा हमारे जीवन मे और संसार कुछ कुछ वैसा ही बनता चला जाता है। उसी के अनुकूल भौगोलिक नहीं तो, मानसिक तौर पे, अपने जीवन मे और संसार में तो आप तुरन्त ही नरक और स्वर्ग का निर्माण कर ही लेते हैं तथा वँहा देर सवेर पहुंच ही जाते हैं।

इसीलिये मेरा ये मानना है कि जो लोग बुरे कर्म करते हैं, जो अपनी वाणी या सोच से किसी का हनन और अहित करते हैं, जो लोग राग, द्वेष, लालच या किसी अन्य वजह से कुकर्म करते हैं, वे सब असुर हैं और उन्हें अन्ततः कष्ट, बदनामी और पराजय का ही सामना करना पड़ता है और एक दिन वे किसी योग्य नहीं रहते हैं। और जो भी लोग अपने मन, वचन और कर्म से कपट रहित आचरण करते हैं, सत्कर्म करते हैं, वे सब देवता हैं और इस लोक में तथा परलोक में भी परम् आनंद के अधिकारी होते हैं।

हमे बुरे विचारों और गलत कर्मों से डरना है, ईश्वर से नही।
ईश्वर तो फिर भी माफ कर देते हैं, कर्म नही। इसलिए हमारा कर्म के इस ईश्वरीय विधान और इस व्यवस्था को मान कर, अपने प्रयासों और आचरण को सही दिशा में चलाकर जीवन की सार्थकता तथा ईश्वर का प्रेम और उनके अनुग्रह को प्राप्त करने का निरंतर प्रयास करना ही प्रार्थना है। हर समय ईश्वर को प्रत्यक्ष मानकर स्वयं पर दृढ़ विश्वास रखते हुऐ सद्विचार, सद्भाव और सत्कर्मों में संलग्न रहना ही असली प्रार्थना है।

सब मंगल कामनाओं को पूर्ण करने वाले मेरे आराध्य प्रभु से आज मेरी प्रार्थना है की आपकी वैचारिक शुभता, श्रेष्ठता, अच्छे, नेक एवं नैतिक कार्य तथा वचनबद्धता आपको उच्चता, प्रधानता और महानता के शुभग शिखरों पर जल्द ही प्रतिस्थापित कर दे।

आप ईश्वर की करुणा-कृपा के बड़े अधिकारी बन जायें और बने रहें तथा आपके घर-आंगन में शुभता और मांगल्य की वर्षा होने लगे और सतत होती रहे, इन्ही कामनाओं के साथ साथ मैं आज उनसे ये एक बार पुनः प्रार्थना करता हूँ कि आप सदैव सफल रहें, स्वस्थ रहें और दीर्घायु हों। मंगल शुभकामनाएं 💐

श्री रामाय नमः। श्री राम दूताय नम:। ॐ हं हनुमते नमः।।

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