Giving Yourself More Opportunities To Feel Proud..
ईश्वर की कृपा, परम आनंद, शुभता, दिव्यता, उत्कृष्टता तथा इस जीवन मे परिपूर्णता को कंही खोजना थोड़े ही है। न तो ये कंही मिलते हैं कि वँहा जायें और भर लायें और न ही ये कोई दूसरा दे सकता है। वे तो हमारे पास ही हैं, सदा से।
लेकिन इन्हें पाने और खोजने के प्रयास का तो हम सिर्फ दिखावा भर ही करते हैं, असल मे तो हम ज्यादातर लालच, अहंकार और अविद्या के अंधकार में घिरे रहते हैं और केवल अपने क्रोध, कड़वाहट, मूर्खता, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा की वजह से अशुद्ध संकल्प लिये घूमते रहते हैं तथा निषिद्ध कर्मों में संलग्न रहते हैं।
एक बार अपने ये बुरे विचार, पाखंड, लोभ और अहंकार विदा कर देंगे, इन्हें कंही जा कर विसर्जित कर देंगे तो पाएंगे कि जो शेष रह गया है, वो वही है जो आपको असल में चाहिये था शुरू से – भगवद्-कृपा, अमरत्व, आनन्द और दिव्यता की स्थायी स्थिति।
याद रखिये की हम जो भी करते हैं, कहते हैं.. वो उनके अभिलेखागार में कंही न कंही लिखा जा रहा है। इसलिए मेरा ऐसा मानना है हम सब को सद्भावना से ऐसे शुभ कर्म करने चाहियें जो कि हमारे आन्तरिक और बाह्य परिवेश को किसी प्रकाश स्रोत की भांति आलोकित रख सकें तथा जिससे हमें न केवल लौकिक बल्कि पारलौकिक सिद्धि भी प्राप्त हो सकें।
इसीलिये अपनी अज्ञानता, अविवेक और अन्य दुर्बलताओं पर ध्यान देना, उनसे पीछा छुड़ा लेना एक प्रार्थना है। अपने स्वभाव, जीवनशैली, दिनचर्या और आदतों में निरन्तर सुधार करते रहना एक प्रार्थना है। केवल संयम, सेवा, स्वाध्याय, सत्संग, प्रार्थना, शुद्ध भावना, सत्कर्मों और शुभ संकल्पों से ही अपने जीवन का उन्नयन, उत्कर्ष करना एवं सिद्धि प्राप्त करने का प्रयास करना ही प्रार्थना है।
सब मंगल कामनाओं को पूर्ण करने वाले मेरे आराध्य प्रभु से आज मेरी प्रार्थना है की आप के भीतर साधुता, शुचिता, पवित्रता, करुणा, सन्तोष और आंनद, यानी के परमात्मतत्व की झलक सदैव बनी रहे तथा आपके प्रत्येक शुभ संकल्प और कार्य लगातार पूर्ण हों – सिद्ध हों।
आप को शतायु, स्वस्थ और सानन्द जीवन के लिये ढेर सारी मंगल शुभकामनाएं 💐