Giving Yourself More Opportunities To Feel Proud..
हम सब जानते हैं कि देव-अनुग्रह और प्राकृतिक अनुकूलताएँ कैसे प्राप्त होती हैं। हम सब जानते हैं कि अपने चारों तरफ स्वर्ग का निर्माण कैसे किया जा सकता है। हमारे जीवन सिद्धि और इसके उत्कर्ष की असली सीढ़ी क्या है।
हम सब जानते हैं कि आध्यात्म के रास्ते चल कर ही जीवन मे (या उसके बाद) कुछ पाया जा सकता है। हम सब जानते हैं कि जिन भी लोगों ने अपने जीवन मे आध्यात्मिक उन्नति की है, सिद्धि और श्रेष्ठता प्राप्त की है, उनके सम्बंध और सहारे केवल वे नैतिक सद्गुण और बौद्धिक सद्गुण रहे जिन्हें हम सब जानते तो हैं, मगर अपनाते नही हैं। वो नैतिकता, सत्यनिष्ठा और पारमार्थिक-भावना रही है जिसे हम जानते तो हैं पर अपनाने से कतराते हैं।
मैं एक बार पुनः याद दिला दूँ की देव अनुग्रह-आशीष का अधिकारी वही है जो सामर्थ्यवान होते हुए भी विनम्र है, सरल और सहज हैं, जो शुभ विचार – शुभ भावना रखता है और शुभ कार्य करते रहता हैं। जो विवेक-संपन्नता के साथ सकारात्मक सोच और विधेयक विचार भी रखता है। हम सब जानते हैं कि धर्म एवं नीति के विरुद्ध किये जानेवाले आचरण से, अनैतिक कार्यों से, दुर्भावना, क्रोध, अहंकार, छल कपट, लोभ, झूठ, मक्कारी से उनकी कृपा, सिद्धि या श्रेष्ठता नहीं पाई जा सकती है, कभी नही।
बिना मन निर्मल किये ही हम यंहा वँहा के चक्कर लगाते फिरते हैं। इनके उनके दर्शन और आशीर्वाद लेते रहते हैं। प्रवचन सुनते रहते हैं। व्रत-उपवास भी करते रहते हैं। लेकिन अपनी मनोदशा क्या है, हमारा आतंरिक स्वभाव क्या है, वास्तविक क्या है, ये हम स्वयं जानते हैं। हम बस स्वंय को धोखा देने में लगे रहते हैं।
यदि आप सोचते है कि आप छल कपट से ईश्वरत्व, उनकी कृपा जीवन सिद्धि या उत्कृष्टता को प्राप्त कर लेंगे तो आप भ्रम में जी रहे हैं, स्वंय को धोखा दे रहे हैं। अगर आप सोचते हैं कि अपने गणित से, चालाकियों से, अनैतिक कार्यों से, मूर्खतापूर्ण तर्कों से उन्हें प्राप्त कर लेंगे तो ये आपका मिथ्या भरम है। वे केवल और केवल प्रभावित होते हैं प्रेम से, निर्मल ह्रदय से, भाव से, श्रद्धा से और समर्पण से।
मैं आपको ये भी बता दूं कि आपका आतंरिक स्वभाव, आपका प्राकृतिक स्वभाव सुंदर है, वे जैसा चाहते हैं, शायद वैसा ही है। इसीलिए मेरा मानना है कि हम जैसे लोगों के लिये अध्यात्म शायद निजता अर्थात् अपने सवः भाव (स्वभाव) की यात्रा है। अतः आध्यात्मिक अंत:करण को निर्मित करने और आध्यात्मिक जीवन शैली जीने की कोशिश ही हमारे लिये उनकी प्रार्थना है। आप दैनिक जीवन मे जो भी कहते हैं, करते हैं वो या तो आपको उनकी कृपा का पात्र बना रहा है या पात्र बनने से रोक रहा है। बस यही समझ, चेतना और इस बात का लगातार ध्यान रखना ही एक मायने में हमारे जैसे नाचीज़ लोगों के लिये प्रार्थना है।
मैं आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ की आपके सारे रोग, विकार, दोष, दुःख, तनाव सब खत्म हो जायें, आप जल्द ही सामान्य चेतना से दिव्य चेतना में प्रतिष्ठित हो जायें, आपकी सुप्त पड़ी हुई शक्तियां, दिव्यता, ज्ञान, भावनाएँ और गुण जागृत हो जायें जिससे आपकी आत्मिक प्रगति और आध्यात्मिक उन्नति की राह जल्द ही प्रशस्त हो सके।
आपके संचित कर्म हर बीते हुए दिन के साथ मजबूत होते चले जायें जिससे आपको भगवत कृपा और स्थायी आनन्द प्राप्त हो सके, ऎसी भी मेरी ईश्वर से प्रार्थना है।
आप को शतायु, स्वस्थ और सशक्त जीवन के लिये ढेरों ढेर मंगल शुभकामनाएं 🙏