रविवारीय प्रार्थना – व्यर्थ व्यर्थ की तरह दिखायी पड़ने लगे तथा सार्थक सार्थक की भांति दिखायी पड़ने लगे।

ब्रह्माण्ड का सारा ज्ञान होने के बावजूद और स्वंय को प्रकृति से भी ज्यादा शक्तिशाली समझने वाले लोग हकीकत में तो आखिर तक यही नही समझ पाते कि वे स्वंय कौन है, उन्हें क्या करना है और कंहा जाना है, ईश्वर कैसा है, कौन है और कंहा है या उनके अस्तित्व का सही मायने में उद्देश्य क्या है।

अपने को सबसे चतुर और समर्थ समझने वाले अनेक लोग केवल भुलावे में लगे रहते हैं, छलावों में उलझे रहते हैं, अभावों के लिये रुदन करते रहते हैं या करवाते रहते हैं। असंतोष, विक्षोभ, उन्माद और अहंकार में फंसे रहते हैं। चालबाजी, गणित, चतुरता और कुतर्कों में संलग्न रहते हुए अपने जीवन को व्यर्थ कर देते हैं और प्रायः असंतुष्ट, अतृप्त और हताश रह कर ही जीवन को गुजार देते हैं।

जब तक हम व्यर्थ को सार्थक समझेंगे तब तक असल सार्थकता, असली आनंद, दिव्यता और सही मायनों में ईश्वरीय कृपा और अनुग्रह से सदा वंचित रहेंगे।

हम सब जानते हैं कि इतिहास ने ऐसे लोग जो व्यर्थ को सार्थक समझते रहे की गिनती कभी महान लोगों में नही की, उन्हें आखिर तक तृप्ति, सन्तुष्टि, पूर्णता, उन्हें कभी ईश्वर प्राप्त नहीं हुए और न ही उनका साक्षात हो पाया। महापुरुष और ईष्ट वे ही बने हैं जिन्होंने प्रयत्न-पुरुषार्थ और श्रम को एक साथ लेकर विनम्र और अहंकारशून्य रहते हुए सदैव सद्कार्य किये हैं।

जिन्हें ये समझ आ गया कि उनका मनुष्य जीवन एक दैवीय रूप से निर्धारित ब्रह्मांडीय योजना का हिस्सा है तथा मनुष्यता ईश्वरीय उपहार और उदारता का रूप, वे ही अंत मे विजयी और सफल हुये हैं।

अपने जीवन की व्यर्थता समझने का प्रयास, जैसा जीवन होना चाहिए उसको वैसा बनाने का प्रयास ही हमारे लिये सर्वोत्तम प्रार्थना है। समय-समय पर आत्म मंथन करना, ये पता करना कि हम में कितना विष और कितना अमृत भरा है, क्या है जिसे अमल में लाना है और क्या है जो बाहर निकाल फेंकना है – प्रार्थना है।

और जिस दिन व्यर्थ व्यर्थ की तरह दिखायी पड़ने लगे, सार्थक सार्थक की भांति दिखायी पड़ने लगे उस दिन आपकी आध्यात्मिक यात्रा शुरू हुई ये समझना चाहिये।

आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि आपके भीतर की और आपके आस पास फैली हुई समस्त दुष्प्रवृत्तियां, नकारात्मकता, उन्माद, अहंकार, कपट तथा प्रपंचों का अंत हो जाये और दैव वृत्तियों- सद्प्रवृत्तियों, सात्विकता, शुद्धता और शुभता का उन्नयन होना शुरू हो जाये। आपकी मौजूदगी, आपकी दृष्टि, संकल्प, सकारात्मक विचार और संग आपके मित्रगणों, परिवार व स्नेहीजनों के जीवन को सार्थकता, उत्कृष्टता, श्रेष्ठता और उन्नति प्रदान करते रहें।

आपके उत्तम स्वास्थ्य और प्रसन्नचित मनोदशा की मंगलकामनाओं के साथ साथ मैं आज प्रभु जी से ये भी प्रार्थना करता हूँ कि आपके जीवन और घर आंगन में प्रेम-स्नेह, हास-परिहास तथा खुशहाली के सभी रंगों की भरमार सदैव बनी रहे। मंगल शुभकामनाएं 🙏

श्री रामाय नमः। श्री राम दूताय नम:। ॐ हं हनुमते नमः।।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: