Giving Yourself More Opportunities To Feel Proud..
हम सब जानते हैं कि ईश्वर यानी वह ऊर्जा जिसे आध्यात्मिक भाषा में आत्मा या ईश्वरीय तत्त्व कहा जाता है वह हम सब के भीतर विद्यमान हैं।
मुझे सच मे समझ नही आता कि जब उनसे प्राप्त ऊर्जा, श्रेष्ठताओं और शक्तियों के माध्यम से जब आप ऋषि हो सकते हैं, देवता हो सकते हैं तो फिर पशुवत आचरण क्यों करते रहते हैं, अवांछनीय कार्यों कर क्यों दु:ख भोगने के अधिकारी बनते हैं। जिन आध्यात्मिक गुणों से हम सब पहले से ही सम्पन्न हैं, जो हम में से प्रत्येक को ईश्वर की ओर जाने की अनन्त यात्रा में सहायक है, उन गुणों को विकसित करने की बजाय क्यों हम ऎसी दुष्प्रवृत्तियों में जकड़े रहते हैं जो हमे पतन के गर्त तक पहुंच कर ही दम लेती हैं। बड़ी हैरानी की बात है 🤔।
अपने महान प्राचीन पवित्र धर्मंग्रंथो को पढ़ने और रटने के साथ साथ उन्हें समझना और उन्हें अपने दैनिक जीवन मे अमल में लाना, अपने आचरण और दैनिक व्यवहार में लाने के निरन्तर प्रयत्न ही हमारी सर्वोच्च प्रार्थना होगी, ऐसा मेरा विश्वास है। सिर्फ दिखावे के लिये होठों से पूजा और प्रार्थना की बजाये दिल से उन्हें याद करना उनका मनन करना प्रार्थना होगी। अपने दिल को साफ करना और इसे पवित्रता, कृतज्ञता और करुणा से भरा रखना ही हमारी श्रेष्ठ प्रार्थना होगी।
मैं आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि आपके अज्ञान और मूर्खता से पैदा हुए सभी भ्रम, भय, दुःख और क्लेश खत्म हो जायें, आपका अंतःकरण दिव्यता, शुभता और आनंदमग्नता से भर जाये तथा आपके भीतर जो परमात्मा का प्रकाश अब तक छुपा हुआ था वो जल्द ही अनवरत हो जाये और आपके घर-संसार को सूर्य की भाँति प्रकाशमान कर दे।
मेरी आज उनसे ये वीनती भी है कि आप दीर्धायु हों, सदैव स्वस्थ रहें तथा आपके जीवन मे अम्रत, आनंद, माधुर्य और समृद्धि के रंगों की बारिश हमेशा होती रहे।
आप ने हर रोज़ की भाँति आज भी मेरी बातों को इस लेख के माध्यम से इतने प्रेम और शांति से पढा, इसके लिए मैं अनुग्रहीत हूं 🙏 मंगल शुभकामनाएं।।