रविवारीय प्रार्थना – पशु परवर्तियों का दैनिक रूप से विसर्जन और दैव परवर्तियों का निरन्तर आह्वान ही हमारी दैनिक प्रार्थना है।

हम सब जानते हैं कि हमारे जीवन का उद्देश्य किसी नेवले सा नही है कि हमे हर समय किसी सांप को ढूंढ कर उसका फन कुचल देना है या फिर उस गिद्ध के समान की जिसे हर वक्त अपने पंजो में किसी शिकार को दबोच लेना है। हमारा उद्देश्य युद्ध मे जीते हुए उस अहंकारी सैनिक की तरह भी नही है जो केवल विध्वंस करते हुए, गरजते-हुँकार भरते हुए यंहा वँहा सब जगह घूमते रहता है।

उम्मीद है आप मेरी इस बात से सहमत होंगे कि हम सब के जीवन का मुख्य उद्देश्य है उस सूरज की तरह जीना जो अपनी ऊर्जा से, प्रकाश से अपने आस पास सब कुछ प्रकाशित कर देता है, जो जीवन देती अपनी रुपहली किरणों से हर अंधेरे को खत्म कर देता है, जो शाम को ढल जाने के बावजूद भी हर सुबह दुबारा रोशनी बिखेरते हुए उग आने का सन्देश देता है।

उम्मीद है आप मेरी इस बात से भी सहमत होंगे कि हम सब के जीवन का मुख्य उद्देश्य है उस बुद्ध की तरह अपने जीवन को जीना जो अपने आत्मज्ञान और अंतरात्मा के प्रकाश से किसी प्रकाश स्तंभ की तरह सदैव जगमगाते रहता है।

इसीलिये मेरा मानना है कि हमारे जीवन का उद्देश्य है अपने लौकिक जीवन को अधिक से अधिक परिष्कृत करने में जुटे रहना, उसे उत्कृष्ट, महान और धार्मिक बनाने के लिये प्रयासरत रहना। धार्मिक होने से मेरा मतलब है आपके मुख से निकला प्रत्येक शब्द ईश्वर से संवाद करने जैसा हो जाना, प्रत्येक व्यवहार का, आचरण का, कार्य का तथा हर एक अभिव्यक्ति का आपके द्वारा की गई उनकी प्रार्थना की अनुकृति हो जाना। अपने विचारों से सब को प्रेरित करना, सब का मन आनंदित करना और तृप्त कर पाना धार्मिक होना है। धार्मिक होने से मेरा ये भी मतलब है की आप मे से परमात्मा का स्वतः ही प्रतिबिम्बित होना- यानी के आपके दिव्य स्वरूप का प्रकट होना।

इसीलिये अपने भीतर उतर कर जो भी मलिनता, स्वार्थीपन, कपटिपन तथा असंतुष्ट भाव या अन्य व्यर्थ की घटिया बातें जो कुछ विषम परस्थितियों की वजह से जमा हो गयी हों उन्हें निरन्तर साफ करते रहना सही प्रार्थना है। अपने अन्तस् को हर हाल में स्वच्छ, पवित्र, परोपकारी, प्रेमपूर्ण तथा प्रसन्न बनाये रखना हमारी प्रार्थना है। अपनी दिव्यता को सुरक्षित रखना, स्वयं को बगैर किसी लालसा के और बगैर किसी आदेश के और निगरानी के धार्मिक बनाये रखना, धार्मिक आचरण करना ही सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना है। इसीलिये मेरा मानना है कि पशु परवर्तियों का दैनिक रूप से विसर्जन और दैव परवर्तियों का निरन्तर आह्वान ही हमारी दैनिक प्रार्थना है।

आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि आपको जल्द ही अनेक सुखद सयोंग और अनुभव प्राप्त हों तथा आपकी सर्वोतमुखी प्रगति हो।

आप स्वस्थ, सुंदर, सक्रिय और धर्मपरायण बने रहें तथा आपकी मनोदशा सदैव प्रसन्नचित बनी रहे, इन्ही सब मंगलकामनाओं के साथ साथ मैं आज प्रभु जी से ये भी प्रार्थना करता हूँ कि आपके जीवन एवं आपके घर आंगन में सकारात्मकता और सौभाग्य में तेजी से वृद्धि हो। मंगल शुभकामनाएं।

श्री रामाय नमः। श्री राम दूताय नम:। ॐ हं हनुमते नमः।।

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