अधर्म का नाश और धर्म की स्थापना ईश्वरयी अवतार प्रक्रिया का एक मूलभूत प्रयोजन है, जो अनादिकाल से चली आ रही है।

हम सबको मालूम है कि अधर्म का नाश और धर्म की स्थापना ईश्वरयी अवतार प्रक्रिया का एक मूलभूत प्रयोजन है, जो अनादिकाल से चली आ रही है।

इसीलिए हर रावण का देर सबेर भस्म होना निश्चित है।

अतः इससे पहले की समय चक्र आपके भीतर के अहंकारी, लोभी, पापी और दुष्प्रवृत्तियों वाले मानसिक रावण को भी मिटाने या भस्म करने के लिये कोई योजना रचे, इसे आज ही अपने संस्कारों से, ज्ञान से और अपनी इच्छाशक्ति से जला कर भस्म कर दें और अपने ह्रदय में रामरूपी ज्योति को जाग्रत कर लें।

मैं एक बार पुनः याद दिला दूँ की रामतत्व मानवीय सद्गुणों का नैतिकता पूर्ण पथ है जो हमारे अन्तःकरण को और बुद्धि को सदा सदा से सद्प्रवृत्ति एवं श्रेष्ठ मार्ग की ओर प्रेरित करता आ रहा है।

मैं आज दशहरे के इस पावन पर्व पर अपने आराध्य के प्रभु श्री राम से प्रार्थना करता हूँ कि केवल आपके भीतर का सत्तत्त्व (रामतत्व) ही आपके आन्तरिक और बाह्य जीवन को सृजित करे – पोषित करे, न कि आपका मिथ्या अहंकार, कामनाएं, लालसाएँ तथा दुष्प्रवृत्तियां।

आपकी समस्त शुभइच्छाएँ पूर्ण हों, आपके शुभ संकल्प शीघ्र ही सिद्ध साकार हों, तथा आपके प्रयास और शुभ कार्य लगातार पूर्ण हों तथा फलित हों, इन्ही सब कामनाओं के साथ प्रभु से ये प्रार्थना भी है कि आने वाला प्रत्येक नया दिन आपके लिये शुभ समाचार लाये, नई खुशी, अच्छा स्वास्थ्य, आनंदोत्सव और भव्य सफलता लाये।

हर्ष और उल्लास तथा विजय के पर्व विजयदशमी और दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं।

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