रविवारीय प्रार्थना – जब हम मन, चित्त, प्रवर्तियों को रूपांतरित करते हैं तब हम उनकी करुणा, कृपा और अनुग्रह के पात्र बनते हैं।

बहुत समय से मैं इस बात में विश्वास करने लगा हूँ कि किसी भी कथा, कहानी या हमारे पूज्यनीय महान ग्रन्थों को सिर्फ याद करना, बाचना या पाठ करना हमे भगवद कृपा का पात्र नही बनाता है। बल्कि जब हम इन्हें पढ़ कर या सुन कर इसमें लिखी अच्छी बातों को आत्मसात करते हैं तथा उनमे बताए गए गुणों – धर्मों के अनुसार अपने मन, चित्त, प्रवर्तियों को और जीवन को रूपांतरित करते हैं तब जाकर हम उनकी करुणा, कृपा और अनुग्रह के पात्र बनते हैं।

उदाहरण के लिए जब आप महान ग्रँथ श्रीमदभगवदगीता का पुण्यरूप पाठ करते हैं या सुनते हैं तब अगर ये समझ कर करें कि आप ही श्री हरि के प्रिय शिष्य हूँ, परमप्रिय भक्त हैं, श्रद्धालु पाठक या श्रोता हैं। आप ही अर्जुन हैं और आप में लोभ, लालसा, पाप, अपराध, अकर्मण्यता, कर्तव्यहीनता, कायरता और दुर्बलता आदि जो भी दुर्गुण हैं उन को रूपांतरित करने के लिए ही श्री कृष्ण भगवान् आपको उपदेश दे रहे हैं। भगवान  आपको ही चैतन्य स्वरूप का वर्णन कर रहे हैं और आलस्य-रहित हो कर, अपने सतकर्म करने और कर्तव्यों के पालन करने के लिये आप को ही प्रेरित और उत्साहित कर रहे हैं। ऐसे उत्तम विचारों, श्रद्धा भाव को रख कर जब आप श्रीमदभगवदगीता का पाठ करते हैं तब जाकर आपको उसका असल सार समझ आता है और आपको अपने जीवन की दैनिक गतिविधियों और व्यवहार को रूपांतरित करने में मदद मिलती है। तब ही जाकर आप भगवान् कि कृपा के सही पात्र बनते हैं।

इसीलिये मेरा ये मानना है कि अपनी सारी ऊर्जा और समय का उपयोग प्रकृति से (जन्म से) जो मिला है उसे समझने और उसे रूपांतरित करने के लिये करना ही सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना है। आपका ये रूपांतरण ही आपके जीवन को धन्य और महान बनायेगा।

अगर प्रकृति से भय, घृणा, क्रोध, हिंसक स्वभाव मिला है (जो लगभग सभी को मिला है) उस को प्रेम, करुणा, अभय, मैत्री के स्वभाव में बदलना ही एक मायने में उनकी सच्ची प्रार्थना है। आप प्राकृतिक रूप से कल्पना करते हैं और सोते हुए सपने देखते हैं (कुछ लोग दिन में भी देखते हैं 🤭) उन्हें संकल्प में परिवर्तित करना ही प्रार्थना है।

नींद या सोया रहना आप की सहज अवस्था है और जागना आपकी रूपांतरित अवस्था है। याद रखिये की गौतम सोए हुए आदमी का नाम है और बुद्ध उसी गौतम की रूपांतरित  अवस्था।

मैं कौन हूं ये बताने-जताने की बजाये मैं कौन हूं इसे खोजने और समझने का प्रयास ही एक मायने में प्रार्थना है।

आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि आपके भीतर जो नाना प्रकार के प्रपंच, निन्दनीय इच्छायें, दोष – दुर्बलतायें और प्रवृत्तियां जन्म से भरी पड़ी हैं आप उन्हें जल्द ही पूरी तरह से रूपातंरित कर पाने में सफल हों। आपकी निर्मल बुद्धि, शुभ प्रयास, परिश्रम और आपका आत्मिक रूपांतरण आपकी सर्वोतमुखी प्रगति में सहायक सिद्ध हो तथा आपको जल्द ही अनेक सुखद सयोंग, अनुभव, आदर और भगवद कृपा प्राप्ति का पात्र बनायें।

उनकी करुणा-कृपा से आपको लोक परलोक की तमाम तरह की अनुकूलताओं की संप्राप्ति हो तथा आने वाला प्रत्येक नया दिन आपके जीवन में स्थिरता, दृढ़ता, आरोग्यता, खुशहाली, समृद्धि और सौभाग्य लेकर आए। मंगल शुभकामनाएं 🙏

श्री रामाय नमः। श्री राम दूताय नम:। ॐ हं हनुमते नमः।।

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