Giving Yourself More Opportunities To Feel Proud..
दीपावली के त्यौहार को पर्वों का राजा कहना गलत नहीं होगा। सारा देश इसे उत्साहपूर्वक मनाता है। हम इस पावन पर्व पर कोशिश करते हैं कि अमावस की गहरी रात को पूर्णिमा बना दें और जितना भी अंधेरा है उसे खत्म कर दें और वो भी छोटी छोटी लड़ियों से और मिट्टी के साधारण से दियों से।
एक-दो दिनों की ये मिट्टी के नन्हें-नन्हें दीयों से अंधेरे के साम्राज्य को पराजित कर देने की हमारी कोशिश कितनी निराली है और कितनी प्रेरणा दायक है, आप स्वयं समझ सकते हैं।
अगर दीये में ज्योति न हो तो दिये के नीचे भी अंधेरा रहेगा, वैसे ही हम भी अपने चैतन्य को जगाये बगैर कण कण में विराजमान परमात्मा की मौजूदगी और परमात्मा की अनुकम्पा के प्रति अंधेरे में ही रहते हैं। एक बार दिये की तरह आपकी अमर ज्योति (प्राणतत्व) जाग्रत हो जाये, रोशन हो जाये तो क्या मजाल की कोई विरोधाभास, अनिश्चितता, आडम्बर, अहंकार या जड़ता रह जाये। एक बार आपका बुद्ध रोशन हो जाये तो आपकी जगमगाहट में सारा संसार जगमगाने लगेगा। आपके दीपक की ज्योति से न जाने कितने और दीपक प्रज्वलित हो उठेंगे।
दीवाली के मिट्टी के दियों में जब आप ज्योति सम्भाल सकते हैं तो अपने इतने शक्तिशाली अंतर्मन में अमृत ज्योति क्यों नही प्रज्वलित कर सकते और इसे सम्भाले रख सकते हैं।
परमात्मा की तरफ से प्रत्येक को सबकुछ बराबर मिला है। उनके बादल सब पर बराबर बरसते हैं। उनका चांद और सूरज सबके लिए उगता है। उनकी आंखों में न कोई छोटा है न कोई बड़ा है। रत्ती भर भेद नहीं। फिर हम अंधेरे में क्यों रहते हैं? हम बुद्धू के बुद्धू क्यों रह जाते हैं, बुद्ध की तरह क्यों रोशन नही हो जाते हैं।
अपने मिथ्या “मैं” को, पाखण्ड को, मूढ़ता को, हठधर्मिता को खत्म कर जैसे ही हम अंतर्यात्रा शुरू करते हैं, जैसे ही अपने चैतन्य को जगाते हैं, हमारे दीये के नीचे का अंधेरा मिट जाता है, दीपावली हो जाती है, हजारों सूर्य एक साथ उदित हो जाते हैं, जिनका फिर कोई अस्त नहीं है – जो फिर कभी डूबते ही नहीं हैं।
आपके भीतर यही परम सूर्योदय छिपा है, प्रार्थना इसी समझ का नाम है। अपने आत्मिक दीये की ज्योति को प्रज्वलित करना ही प्रार्थना है। उस की लौ बनाये रखना सम्भाले रखना प्रार्थना है।
आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि इस अमावस की रात को आपका बुझा हुआ दीपक जल उठे,आपको भी बद्धतत्व प्राप्त हो जाये तथा लालच, घृणा और भ्रम से मुक्ति मिल जाये, इस बार शुरू हुआ मिठास का रोशनी का ये उत्सव सदा सदा के लिये आपके जीवन का अंतरंग हिस्सा बन जाये, गीत-संगीत कभी बंद ही न हों और आनंद की फूलझडि़यां सदा फूटती रहें तथा आपका सूर्य कभी अस्त न हो।
आप स्वस्थ रहें, सेहतमंद रहें और आपकी यश-कीर्ति सदियों तक बनी रहे, इन्ही सब मनोकामनाओं के साथ देवी लक्ष्मी जी से प्रार्थना है की वें आपके साथ हमेशा रहें 🙏
दीपावली शुभ हो 🪔🙌💐
आपकी लेखनी कथ्य का सत्य दर्शाती है
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आपका आभार 🙏
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