Giving Yourself More Opportunities To Feel Proud..
प्रत्येक जीवन ईश्वर की ज्योत है और समस्त सृष्टि के प्रति, समस्त प्रकृति के प्रति, समस्त जीवों के प्रति, अपने जीवन के प्रति और अपने परमात्मा के प्रति निरन्तर अनुग्रह का बोध रहना ही प्रार्थना है।
जो कृतज्ञ हैं वे ही धन्यभागी होते हैं। जितने आप कृतज्ञ होते चलोगे परमतत्व की, आनंद की और सुकून की वर्षा उतनी ही सघन होती चलेगी। इस गणित को ठीक से हृदय में सम्हाल कर रख लेना ही प्रार्थना है।
लेकिन ऐसा नहीं है कि शिकायत करने के अवसर नही आते हैं। मन की अपेक्षाएं बड़ी हैं, हर पल – हर कदम पर शिकायतें उठती रहती हैं – उठेंगी ही उठेंगी। ऐसा होना था, नहीं हुआ। जब भी ऐसा लगे कि ऐसा होना था नहीं हुआ तो समझो गलती हुई। अगर समय रहते अपनी गलती पहचान गए, आंखें झुका लीं और प्रभु से क्षमा मांग ली और कह दिया की प्रभु आपकी मर्जी पूरी हो, जो आप कर रहे हैं मेरे लिये ठीक ही होगा, बढिया होगा – बस यही प्रार्थना है।
मेरे अनुसार तो बस यही फासला है संत में असंत में, ज्ञान और अज्ञान में, अंधेरे में और प्रकाश में। असल मे बस इतना ही फासला है भटके हुए में और पहुंचे हुए में। बस इतने से फासले में सारी घटना घट जाती है। जो उनकी मर्जी है वही बढिया है – यही भाव – अहोभाव है।
अहोभाव एवं अनुग्रह की इस मनोदशा को स्थिर रखना, उनकी तरफ से थोड़ा सा भी प्रकाश मिले, नाचना, मस्त हो जाना, जरा सी ऊर्जा मिले, धन्यवाद में बह जाना प्रार्थना है।
इस मनोदशा, इस निरन्तर अनुग्रह के भाव, अहोभाव में रहना ही परमात्मा से जोड़ने वाली प्रार्थना है। असल मे निर्वाण शिकायत से अहोभाव की यात्रा ही तो है बाकी कुछ नही।
आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ की आप सरल, सहज और शीतल होते चले जायें, आपके अनुग्रह का बोध, अहोभाव और कृतज्ञता का भाव दिनों दिन बढ़ता रहे, फूलों पर फूल खिलते रहें।
आप स्वस्थ रहें और मस्त रहें इसी कामना के साथ आज मैं प्रभु जी से ये भी प्रार्थना करता हूँ कि आपका जीवन खुशियों से सदा भरा रहे। मंगल शुभकामनाएं 🙏
श्री रामाय नमः। श्री राम दूताय नम:। ॐ हं हनुमते नमः।।