रविवारीय प्रार्थना – असंख्य पुण्यों की कमाई से मिला दुर्लभ जन्म अपनी व्यक्तिगत आत्मा को अंततः परमात्मा में विलीन करने के लिये हुआ है, उनके साक्षात्कार के लिये हुआ है तब हम कैसे खुद को निम्न प्रकृति की अशुद्धियों से भरा रख सकते हैं।

ये सच मे विचार योग्य बात है कि जब हम सब को ईश्वर की सबसे बेहतर रचना कहा जाता है, जो आरम्भ से ही अपनी मौलिक विशेषता, विशिष्टता और वरिष्ठता ले कर जन्मते हैं, जिनका जन्म सर्वोच्च अनुभव प्राप्त करने के लिये होता है और जो देवत्व प्राप्त करने के सबसे नजदीक होते हैं, तो उस संसार मे अयोग्यों (मूर्ख, निर्बुद्धि, गुणहीन, नालायक एवं गन्दे लोगों) की संख्या इतनी अधिक कैसे हो गयी है?

जब हम सब जानते हैं कि हमारे जीवन का प्रमुख लक्ष्य ईश्वर-प्राप्ति है और हम सब ये भी जानते हैं कि आधुनिक परिस्थितियों और हमारे आज के स्वभाव के हिसाब से हमारे लिए परमात्मा को प्राप्त करने के सभी मार्गों में से कर्म योग (अनासक्त भाव से सत्कर्म करना) ही सबसे अच्छा, सबसे सुरक्षित और सबसे कारगर उपाय है, तब भी क्यों निम्न स्तर के कार्य और अनुचित व्यवहार करते रहते हैं।

जब हम सब ये जानते हैं कि हमारे असंख्य पुण्यों की कमाई से मिला दुर्लभ जन्म अपनी व्यक्तिगत आत्मा को अंततः परमात्मा में विलीन करने के लिये हुआ है, उनके साक्षात्कार के लिये हुआ है तब कैसे हम कैसे खुद को निम्न प्रकृति की अशुद्धियों से भरा रख सकते हैं। कैसे अपने चित्त, बुद्धि, आन्तरिक वृत्ति में क्रोध, लालच, अहंकार या कपटिपन रख सकते हैं।

ये जीवन हमें हमारे उद्देश्य को – लक्ष्य को (परमतत्त्व की प्राप्ति और ईश्वर का बोध) प्राप्त करने के लिए जो सुनहरा अवसर रोज देता है, उसे हाथ से जाने न दें। प्रत्येक दिन भोर होते ही आपके लिए जो नया अवसर आता है, उसे नाहक ही गंवाना नही है।

कपटिपन, अहंकार, द्वेष, ईर्ष्या, सबसे अधिक श्रेष्ठ होने का विचार खत्म करें तथा स्वयं को विनम्रता, शुद्ध प्रेम, सहनशीलता और करुणा से भर लें। आपके खान- पान , रहन- सहन, प्रकृति, स्वभाव, आचार- विचार-व्यवहार और क्रिया कलापों में जो विकार, विकृति और फूहड़ता आ गयी है उन्हें खत्म कर स्वयं को शालीनता, बड़प्पन, शिष्टता, विद्वता और ईश्वरीय गुणों का प्रतिबिंब बना लें।

जब तक आपका तन मन अशुद्धियों से मुक्त नहीं हो जाता – शुद्ध नहीं हो जाता है, तब तक आप की कोई प्रार्थना स्वीकार नही होगी, कारगर नही होगी। जब तक न केवल प्रार्थना बल्कि हर विचार, कार्य और हर चीज़ परमात्मा को पाने पाने का साधन नही बन जाती है, तब तक उनका अनुभव नही होगा, तब तक आपकी आध्यात्मिक उन्नति नही होगी, तब तक वो सर्वोच्च आंनद प्राप्त नही होगा जिसके आप पहले दिन से ही अधिकारी थे।

आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ की आपका आचरण छल, दंभ, द्वेष एवं पाखण्ड से सदा सदा के लिये मुक्त हो जाये, आपके सभी विकार तुरंत मिट जायें तथा आपके सभी कार्य एवं चिन्तन प्रार्थनामय हो जाये और हृदय प्रभु के पवित्र प्रेम से भरा रहे, जिससे आपका जीवन शुद्ध एवं सरल हो जाये तथा आपको अद्भुत-असीम आनंद एवं सुख प्राप्त हों।

मैं आज अपने प्रभु जी आपके स्वस्थ, सुदीर्घ और शांतिमय जीवन के लिए भी प्रार्थना करता हूं। आपका आने वाला प्रत्येक नया दिन शुभ हो, मंगलमय हो 🙏।

श्री रामाय नमः। श्री राम दूताय नम:। ॐ हं हनुमते नमः।।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: