Giving Yourself More Opportunities To Feel Proud..
जैसे कि आप जानते हैं कि हमारा जीवन और संस्कृति ईश्वर-प्रधान है। हमारा मानना है कि बिना ईश्वर के हमारा जीवन वैसे ही शून्य और निरर्थक है जैसे बिना पानी के समुंदर। धर्म प्रधान देश होने के कारण यहां ईश्वर के विभिन्न रूपों के एक से बढ़कर एक भव्य मंदिर हैं और हर मन्दिर में हजारों हज़ार लोग ईश्वर की पूजा अर्चना करने, उनके दर्शनार्थ हेतु रोज जाते हैं।
मंदिर में व्यक्ति साधरणतया अपने आराध्य की समृद्ध अनुष्ठानों से ‘प्राण’ प्रतिष्ठित मूर्ति की पूजा अर्चना के लिये जाता है, श्रद्धा व्यक्त करने जाता है। प्राण प्रतिष्ठा होने पर मूर्ति चैतन्य हो जाती है, उसमे जीवन का संचार हो जाता है। यांनी के उसमें प्राण (देवत्व) और आध्यात्मिकता की अलौकिकता जाग्रत हो जाती है।
लेकिन कमाल की बात तो ये है कि जो प्राण हर मनुष्य में शुरुआत से ही मौजूद है, वह इससे ताउम्र बेखबर रहता है अनजान रहता है।
एक बार पुनः याद दिला दूँ की आप उनकी चलती-फिरती मूरत हैं। इसलिए आपको स्वयं मे प्राण प्रतिष्ठा के लिये कोई विशेष अनुष्ठान, तपस्या या साधना करने की जरूरत नहीं है, बस जागृत होने की आवश्यकता है। आप को मात्र अपनी अनुभव शक्ति को प्रबुद्ध भर करना है। पूरी तरह चेतन हो कर जीवन बिताना शुरू करना है। अपने अंदर से अपनी आत्मा को यानी के प्राण को यानी के देवत्व को प्रगट करने की जरूरत है, अपनी दिनचर्या को ही एक तीर्थयात्रा बनाने की जरूरत है। बस यही प्रयास उनकी सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना है।
जैसे पुरोहित लोग – सन्त लोग मूर्ति में अपने अनुष्ठानों से प्राण डालते हैं वैसे ही हमे ये प्राण अपने सभी दैनिक विचारों, भावनाओं और गतिविधियों मे डालने हैं। आप जो भी काम बगैर प्राण डाले करते हैं, सिर्फ औपचारिकता के लिये करते हैं, सिर्फ लकीर पीटने के तरीके से करते हैं वो किसी काम के नही हैं। यकीन मानिये की जो पूजा पाठ, दान पुण्य, जो ध्यान – प्राणायाम या जो भी श्रम अब तक बगैर हृदय के भाव और बिना सच्चे मन से किये हैं वे सब बेकार हैं, उनका लाभ कभी नही मिलने वाला आपको।
आज मेरे आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना है कि आपके अंतःकरण में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा का भाव जागृत हो जाये, आपके प्राण एवं आपका चैतन्य जागृत हो जाये और आप ईश्वरीय अनुभूति में सराबोर हो जायें। आपके भीतर जल्द ही प्रेम, शांति और पवित्रता उतर आये तथा उनके स्वरूप का नूर उतर आये।
आपके सभी प्रकार के शोक, संशय व अन्य दोष समाप्त हो जायें, इसी कामना के साथ साथ मेरी आज प्रभु जी से ये भी प्रार्थना है कि आपके चेहरे पर सदा मुस्कान बनी रहे और आपके घर आँगन में खुशियों का वास सदा बना रहे। मंगल शुभकामनाएं।
श्री रामाय नमः। श्री राम दूताय नम:। ॐ हं हनुमते नमः।।