रविवारीय प्रार्थना – सहजै साहब मिलै, सहज कहावै सोइ।।

आज कबीर साहब के दोहे से रविवारीय लेख की शुरुआत कर रहा हूँ।

सहजै साहब मिलै, सहज कहावै सोइ।।

यंहा साहब का अर्थ है ईश्वर। कबीर साहब का शायद यही अर्थ है कि ईश्वर सहजता का ही दूसरा नाम है।

अब सवाल उठता है कि सहजता क्या है और सहज होने की पहचान क्या है? ओशो ने बहुत सुंदर उत्तर दिया है इस सवाल का। वे कहते हैं कि सहज होना यानी स्वाभाविक होना, स्वाभाविक होना यानी धार्मिक होना। वे कहते हैं कि किसी भी चीज का जो स्व-भाव है, उसी में आनंदित रहना, उसी के प्रति प्रतिबद्ध रहना, उस के प्रति सहज रहना वही उसका धर्म है।

परमात्मा ने आपको जैसा बनाया है उसने आपको जैसा रंगा है – वही आपका रंग है, वही आपका ढंग है। उन्होंने आपको जैसा बनाया है इसमें रत्ती-भर हेर-फेर की जरूरत या गुंजाइश नही है। बस आपको इसी बात से सहज होना है।

और जैसे ही आप सहज होना सिख जाते हैं, आपकी इसी सहजता के झरोखे से किसी दिन ईश्वर भीतर उतर आते हैं। क्योंकि कबीर साहब कहते हैं कि परमात्मा का अर्थ है सहजता।

जंहा जंहा सहजता होगी, सरलता होगी, मधुरता होगी सुंदरता होगी, शांति होगी वंही आपको परमात्मा दिखाई पड़ेगा। असहजता, अहंकार, विसंगतियों, कुरूपता, पाखण्ड और विद्रूपताओं का परमात्मा से कोई लेना देना नही है।

यह समझ लेने वाली बात है की जैसे वृक्ष की पहचान उसका फल है, वैसे ही आपका फल है – कर्म, आपके शब्द, व्यक्तित्व, आंखें, आपके होने का ढंग आपका फल है। जैसे किसी भी वृक्ष का फल बताएगा कि वृक्ष नीम का है, कि आम का है। उसी प्रकार आपके होने का ढंग, आचरण, व्यवहार, बात करने का तरीका और कार्य बताते हैं कि आप मे ईश्वरीय फल लगा हुआ है या नही।

अपने मन, वचन तथा कर्म के प्रति हर दम सजग रहना और कर्मफल के प्रति, स्वयं तथा सभी के प्रति सहज रहना ही हमारी सर्वोत्तम प्रार्थना है।

मैं आज अपने आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना करता हैं कि आपकी सहजता, सरलता और सौम्‍यता दिन प्रति दिन बढ़ती चली जाये। आपकी आध्यात्मिक वास्तविकता, असाधारणता और अलौकिकता जल्द ही उभर आये और पूरी तरह से प्रकट हो जाये। आपके जीवन से नीरसता खत्म हो जाये और ये हर्ष, उल्लास और आनंद से भर जाये।

आप सदैव स्वस्थ रहें तथा आप की प्रसन्नता में, आपके सौरभ में, आपके गौरव में और आपकी विपुलता में तेजी से अभिवृद्धि हो, इन्ही सब कामनाओं के साथ साथ प्रभु जी से एक बार पुनः प्रार्थना है कि आपकी हर दैनिक गतिविधियों से, हर सामान्य कार्यों से, आपके हाव-भाव से, आपके शब्दों से ईश्वर का अनुभव होने लगे – उनकी पहचान होने लगे। मंगल शुभकामनाएं 💐

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।

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