रविवारीय प्रार्थना – आप अपने आगे के लिये किस प्रकार का प्रारब्ध पैदा कर रहे हैं?

मुझे उम्मीद है कि आप जानते हैं कि हम स्वंय ही अपने प्रारब्ध के रचयिता हैं। संचित कर्मफल (अच्छे या बुरे) कहीं से ला कर हम पर थोपे थोड़े ही जा रहे हैं। हमारा वर्तमान में किया हुआ कर्म ही भविष्य में या अगले जन्म में हमारा प्रारब्ध बन जाता है। अब तो जो हैं सो है, आगे के लिये तो शुभ कर्म कर के एवं भगवान के शरणागत हो कर भगवत् प्राप्ति के अधिकारी और पात्र बन ही सकते हैं। आगे के लिये अपनी लौकिक एवं परालौकिक अनुकूलताओं के सृजन से कौन रोक रहा है आपको 🤭।

आज मैं एक बात दुबारा याद दिला दूँ कि आप बाहर से चाहें कितने ही सुंदर, बुद्धिमान, तेजतर्रार या गतिशील क्यों ना हो, अगर आपकी दृष्टि में स्पष्टता, बुद्धि में पवित्रता, मन में स्थिरता और शुद्धता नही है तो चाहें कितने ही ऊँचे कुल में पैदा हुऐ हो(पूर्व जन्मों के पुरषार्थ एवं संचित कर्मफलों की वजह से), आप अपने आगे के लिये किस प्रकार का प्रारब्ध पैदा कर रहे हैं आप स्वयं समझ सकते हैं।

जो लोग अपनी जिम्मेदारीयों के प्रति, अपनी सम्भावनाओं के प्रति, अपनी बुद्विमत्ता और कर्मों के प्रति सजग हैं और सहज हैं- और हर परिस्थिति में सदाचार और सद्व्यवहार करने के प्रति प्रतिबद्ध है उनके किस प्रकार के प्रारब्ध निर्मित हो रहे हैं, किस प्रकार के शुभ कर्म फल संचित हो रहे हैं, इसे समझना कोई बहुत मुश्किल नही है। कौन अपने लिये नरक और कौन अपने लिये स्वर्ग का निर्माण कर रहा है ये समझना क्या इतना मुश्किल है क्या?

लिये हुए कर्ज का न चुकाना (कर्ज से मेरा मतलब केवल लिये हुऐ धन से ही ही नही बल्कि हम से जुड़ी उम्मीदो, विश्वास व मिली हुई दुआओ से भी है), वचनों का पालन न करना, अपने उत्तरदायित्व एवं जिम्मेदारियो से बचना, विश्वासघात – दगा करना, कुछ कहना और कुछ करना, हर पल आपके प्रारब्ध का निर्माण करते हैं जिसके कारण फिर जो हो सकता है अभी, आगे और अगले वाले में वो हम सब समझ सकते हैं।

इसीलिये मेरा मानना है कि सच्ची निष्ठा से सदैव शुभकर्म करते रहना,अपने कर्तव्यों और प्रतिबद्धताओं का पूरी निष्ठा से पालन करना, हमेशा होश में रहना, अपनी चेतना को पूरी तरह से यहां और अभी में रखना, दूसरों के साथ प्रसन्नता पूर्वक रहना, सभी दूसरों को सम्मान देना, ईमानदारी को जीवन की सर्वोपरि नीति बना लेना तथा हर हाल में अपने और ईश्वर के वचनों का पालन करते रहना ही हमारी सर्वोत्तम प्रार्थना है।

आज मेरे आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना है कि आपके द्वारा किये गए शुभ कर्म, पुरुषार्थ सदैव लौकिक-पारलौकिक अनुकूलताओं के सृजन में सहायक और दैव-अनुग्रह प्रदाता साबित हों। आपके भीतर ईश्वरीय अनुभूति की निरंतरता बनी रहे – बढ़ती रहे तथा आपके जोश, उत्साह और आनंदोल्लास में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो।

आपके सभी शुभ मनोरथ तथा संकल्प जल्द ही पूर्ण हों, आप के परिवार में सुख, सुविधा, सम्पत्ति, सद्भाव, संतोष, संयम और आपसी सम्मान एवं स्नेह सदा बना रहें, इन्ही सब कामनाओं के साथ साथ उनसे आज ये भी प्रार्थना है कि आप दीर्घायु हों और सदैव स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त रहें। मंगल शुभकामनाएं 💐

श्री हनुमानजी के आज सुबह के मनमोहक, अद्भुत, आलौकिक एवं अनुपम आरती दर्शन 🙏

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: