रविवारीय प्रार्थना – परमात्मा श्रेष्ठताओं का केन्द्र है।

हम सब जितना भी जानते हों, मगर इतना तो पक्का से जानते हैं कि परमात्मा सरलता, शुभता, शुचिता, सदाशयता, सद्भावना, सत्यता, सकारत्मकता, प्रेम एवं श्रेष्ठताओं का केन्द्र हैं।

और इन्ही ईश्वरीय गुणों और श्रेष्ठताओं को प्राप्त करने और उन्हें धारण करने योग्य बनना हमारा आध्यात्मिक या यूं कहें कि उच्चतम लक्ष्य होता है। संसार के सभी पदार्थ एवं क्रियायें लगभग सभी के लिये केवल आनंद, आत्मशांति, आत्मउत्कर्ष तथा पूर्णता प्राप्त करने के साधन मात्र हैं, आपका पता नही 🤭।

एक साधारण बात ये भी है कि जब हम बर्फीली जगह पर हों और ठंड से शरीर कांप नही उठे, क्या ऎसे हो सकता है? फूलों से भरे बगीचे में हों और मन सुगंध से भर न ऊठे, ऐसा हो सकता है क्या। ऐसे ही जब आप ईश्वर की, अपने आराध्य की प्रार्थना सच्चे मन से करते हैं, उनका ध्यान करते हैं और उनके समीप आते हैं तो उनके गुणों का, श्रेष्ठताओं और सुंदरता का स्थानांतरण होना स्वभाविक हो जाता है।

मगर बड़े अचरज की बात है कि ऎसे व्यक्ति जो दिन रात पूजा पाठ करते दिखाई पड़ते हैं बड़े उपासक या धर्मात्मा दिखाई पड़ते हैं उनके व्यवहार, आचरण या कार्यकलापों से उनकी श्रेष्ठता, दिव्यता, सरलता और सात्विकता दिखायी पड़ने की बजाये लंपटता एवं मक्कारी दिखाई पड़ती हैं, अहंकार से भरे दिखाई पड़ते हैं, क्रोध, लोभ और ईर्ष्या के वशीभूत रहते हैं। मेरा अभिप्राय आप समझ ही गये होंगे।

हो सकता है ये बात आपको बुरी लगे या बहुत कड़वी लगे कि अगर आप मे उनके गुण, दर्शन और श्रेष्ठताओं के लक्षण दिखाई नही पड़ रहे हैं तो आपकी पूजा पाठ अभी केवल आडम्बर है – ढोंग है। उनकी सही मायने में प्रार्थना करने से उनकी श्रेष्ठताओं का स्थानांतरित होना अटल सत्य है।

उनके स्वरुप एवं सदगुणों का सतत चिंतन करना उनकी कृपा प्राप्त करने योग्य बनने की ओर उठाया पहला कदम है। सही मायने में उनकी प्रार्थना का मतलब है उनके वचनों और सद्गुणों को आत्मसात करना – उन्हें अपने भीतर विकसित करने का प्रयास करना। यकीन मानिये की हमारा प्रत्येक सत्कर्म ही उनकी प्रार्थना है। वैचारिक शुचिता, सद्‌भावनाओं और सत्प्रवृत्तियों से ओतप्रोत जीवन जीना ही सच्ची प्रार्थना है।

आज मेरे आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना है कि आपका मन निर्मल, निष्पाप एवं शांत हो जाये, आपके आचार-विचार और कर्म ऐसे हों जायें कि सम्पूर्ण जीवन ही यज्ञ बन जाये जिससे आनंदित, प्रसन्नता और अहोभाव से भरे रह कर आप सफलता पूर्वक अपनी पूर्णता को प्राप्त कर सकें।

आप स्वस्थ रहें, सुंदर दिखें और दिर्घायु रहे। मंगल शुभकामनाएँ 🙏

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।

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