होलिका दहन हमें सनातन ईश्वरीय नीति याद दिलाता है कि जो जैसा करेगा, उसे वैसा भरना पड़ता है।

आओ इस बार के होलिका दहन में केवल लकड़ियां ही नहीं बल्कि बीते पूरे वर्ष की सारी कड़वी – बेरंग यादों और अतीत के सारे दर्द, अनुभवों और दु:खों को जला दें, अपने राग, द्वेष और अहंकार को भस्म कर दें।

हर साल होलिका दहन हमें सनातन ईश्वरीय नीति याद दिलाता है कि जो जैसा करेगा, उसे वैसा भरना पड़ता है, चाहें वो कोई भी हो। भगवान की हजार आँखें, हजार हाथ और उनकी कराल दाढ़ से छिपकर – बचकर कोई जा ही नहीं सकता है। ये पावन पर्व हमे ये भी याद दिलाता है कि जिसने अपने जीवन की बागडोर परमात्मा के हाथ मे सौंप रखी है उसके साथ छल प्रपंच करने वाले को उसका परिणाम हर हाल में भुगतना ही पड़ता है।

इसीलिये प्रेम, मैत्री, करुणा के भावों के साथ हर परिस्थिति में लौकिक मर्यादा, नीति तथा अपने अपने धर्मानुसार शुभ कर्म करते रहना ही हमें उनकी कृपा का पात्र बनाता है और हमे दिन-प्रतिदिन श्रेष्ठ बनाता चला जाता है।

सभी इष्टमित्रों की कुशलता की कामना करते हुए आप सभी को होलिका दहन के पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएँ 🙏🙏

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