Tag: आत्म विकास

केवल सम्भव को सम्हालना है, असम्भव को नही तथा वही फैलाना है जो हममें है।

आपको केवल सम्भव को सम्हालना है, असम्भव को नही। जो आप से आज और अभी हो सकता है बस उसे अपनी पूरी लगन, ताकत और प्रतिबद्धता से करना है। बाकी ईश्वर देखेंगे। खुद को जीवंत करना है, आनंदित, खुश और धन्य करना है, अपनी… Continue Reading “केवल सम्भव को सम्हालना है, असम्भव को नही तथा वही फैलाना है जो हममें है।”

अपनी मूँछों पर ताव देकर अपनी शेखी बघारने और प्रतिक्रिया देने की बजाये, स्वयं की और उनकी आवाज सुनना और समझना, सफलता की गारंटी है।

ज्यादातर बातों और घटनाओं को लेकर अगर आप खुद को शांत और सहज रखते हैं तो आपको अपनी आत्मा की आवाज सुनने लगती है, ईश्वर की आवाज सुनने लगती है और आप को उस बात और घटना के लिए मार्गदर्शन और हल प्राप्त हो… Continue Reading “अपनी मूँछों पर ताव देकर अपनी शेखी बघारने और प्रतिक्रिया देने की बजाये, स्वयं की और उनकी आवाज सुनना और समझना, सफलता की गारंटी है।”

प्रार्थना

मेरे विचार में परमात्मा का एक अर्थ है हमारे अपने अस्तित्व की ऊर्जा, हमारा आनन्द, प्रेम एवं आंतरिक सौंदर्य, शक्ति, कौशल तथा हमारा बुद्धत्व, जो हम सब में समाहित है। जिसे हम बहकने की वजह से, मूर्खता, अहंकार या शायद उलझनों के कारण जान… Continue Reading “प्रार्थना”