Giving Yourself More Opportunities To Feel Proud..
वे सब रावण ही तो हैं जो कई कई चेहरे ले कर और अपने झूठ को गर्व से माथों पर सजाए घूम रहे हैं। हम सबने सुना है कि रावण के दस सिर थे। मगर लोग तो जाने कितने चेहरे लिये घूम रहे हैं… Continue Reading “प्रार्थना”
ईश्वर और आनंद दोनो ही कोई वस्तु नही हैं, जो भविष्य में कंही आपको मिल जाएंगे। ये तो जन्म के साथ ही हमारे हृदय की धड़कन में बसे हुए हैं। परमात्मा और परमानंद को अपने भीतर हर हाल में जीवंत रखना ही हमारी सबसे… Continue Reading “परमात्मा और परमानंद को अपने भीतर हर हाल में जीवंत रखना ही हमारी सबसे बड़ी प्रार्थना है।”
हमारे वेद बताते हैं कि सच्चिदानन्द ईश्वर तो आकार से रहित निराकार है। ईश्वर के असली रूप की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। कम से कम हम जैसे साधारण बुद्धि वाले मनुष्य तो नही कर सकते हैं। इसलिए हम अपनी अपनी कल्पना… Continue Reading “प्रार्थना”
ईश्वर कभी भी हमसे दूर नहीं थे और न होंगे। वे तो अपार ऊर्जा, पूर्ण ज्ञान, अनन्त सामर्थ्य, वात्सल्य तथा अपना आशीर्वाद लिए प्रति पल हमारे साथ हैं। और जब भी हम अपने भीतर की गहराई में एकाग्रता से उतरते हैं, हमारी आत्मा दिव्य… Continue Reading “प्रार्थना”
आपको देर सबेर ये मानना ही होगा कि भगवान यदि यहाँ नहीं है तो कहीं भी नहीं हैं और भगवान अगर आपके आज में नहीं है तो भविष्य में भी कभी नहीं होंगे। आप के अंदर और सभी के अंदर भगवान् नित्य ही विराजित… Continue Reading “प्रार्थना”
हमारी मान्यता ये है की हम सब उस परमब्रह्म ईश्वर की रची रचना हैं और अगर हम उनकी रचना हैं तो स्वभाविक है कि उनका कुछ अंश तो हम सब में ज़रूर होगा। उनकी तरह पूरे ब्रह्मांड को ना सही, कम से कम स्वयं… Continue Reading “प्रार्थना”
कलह तथा कपट के इस युग में भगवान के नाम, यश, रूप, तथा लीलाओ का हर दिन गुणगान करना, अपने जीवन को लगातार श्रेष्ठ, परिष्कृत एवं गौरवान्वित बनाने का प्रयत्न करते रहना, अपने भीतर की अच्छाई को हर परिस्थिति में जिंदा रखना तथा अपने… Continue Reading “प्रार्थना”
आज पहली बात तो ये की देवताओँ और असुरों का अलग कोई अस्तित्व नहीं है। एक ही व्यक्ति में दोनों मौजूद हैं। आप का बेवजह क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, या किसी के खिलाफ लगातार नाराजगी, अनिवार्य रूप से आपके असुरत्व को प्रगट करता है और… Continue Reading “प्रार्थना”