Tag: सुविचार

रविवारीय प्रार्थना – स्वयं अपने हाथों से अपने दुर्भाग्य का निर्माण क्यों करना?

दोस्तो हमारा जीवन पहले से ही एक युद्ध है- संघर्ष है। स्वयं के साथ – परिस्थितियों के साथ तरह तरह के संघर्षों और युद्धों को रोजमर्रा के जीवन मे हर कोई लड़ ही रहा है। यंहा कौन है जिसका जीवन किसी न किसी संघर्ष… Continue Reading “रविवारीय प्रार्थना – स्वयं अपने हाथों से अपने दुर्भाग्य का निर्माण क्यों करना?”

केवल सम्भव को सम्हालना है, असम्भव को नही तथा वही फैलाना है जो हममें है।

आपको केवल सम्भव को सम्हालना है, असम्भव को नही। जो आप से आज और अभी हो सकता है बस उसे अपनी पूरी लगन, ताकत और प्रतिबद्धता से करना है। बाकी ईश्वर देखेंगे। खुद को जीवंत करना है, आनंदित, खुश और धन्य करना है, अपनी… Continue Reading “केवल सम्भव को सम्हालना है, असम्भव को नही तथा वही फैलाना है जो हममें है।”

अपनी मूँछों पर ताव देकर अपनी शेखी बघारने और प्रतिक्रिया देने की बजाये, स्वयं की और उनकी आवाज सुनना और समझना, सफलता की गारंटी है।

ज्यादातर बातों और घटनाओं को लेकर अगर आप खुद को शांत और सहज रखते हैं तो आपको अपनी आत्मा की आवाज सुनने लगती है, ईश्वर की आवाज सुनने लगती है और आप को उस बात और घटना के लिए मार्गदर्शन और हल प्राप्त हो… Continue Reading “अपनी मूँछों पर ताव देकर अपनी शेखी बघारने और प्रतिक्रिया देने की बजाये, स्वयं की और उनकी आवाज सुनना और समझना, सफलता की गारंटी है।”

प्रार्थना

मेरे विचार में परमात्मा का एक अर्थ है हमारे अपने अस्तित्व की ऊर्जा, हमारा आनन्द, प्रेम एवं आंतरिक सौंदर्य, शक्ति, कौशल तथा हमारा बुद्धत्व, जो हम सब में समाहित है। जिसे हम बहकने की वजह से, मूर्खता, अहंकार या शायद उलझनों के कारण जान… Continue Reading “प्रार्थना”

सकारात्मक सोच, प्रसन्न चित्त और प्रगति की दिशा में सदैव सक्रिय बने रहना ही अंततः आपके सुख, शांति और सद्गति का कारण बनेगा।

एक बात आपको हमेशा याद रखनी होगी कि आपका स्वास्थ्य, आपकी सेहत, आपकी सांसे, आपका जीवन और आपकी सफलता सिर्फ आपके इरादों, लगन, मेहनत और निरन्तर किये गए शुभ प्रयासों पर ही निर्भर करती है और किसी चीज़ पर नही। मेरी या किसी अन्य… Continue Reading “सकारात्मक सोच, प्रसन्न चित्त और प्रगति की दिशा में सदैव सक्रिय बने रहना ही अंततः आपके सुख, शांति और सद्गति का कारण बनेगा।”

प्रार्थना

जीवन मे सब महत्वपूर्ण चीजें जैसे कि मनुष्य जन्म, मृत्यु, मोक्ष, परिवार, बंधन, यश व अपयश परमात्मा के हाथ में ही हैं। आज भी ये सब उन्ही के यानी के प्रकृति के हाथों में ही है। इसीलिए भलायी इस मे है कि जीवन को… Continue Reading “प्रार्थना”

प्रार्थना

दूसरों में कमियां ढूंढने की बजाय, आत्म अवलोकन करना प्रार्थना है। अपनी कमियां उदारता से स्वीकार करना व दूसरों के गुणों की जी खोलकर प्रशंसा करना प्रार्थना है। स्वयं को समझा बुझा कर – ईर्ष्या, द्वेष, गुस्सा, कुंठा, जलन, दूसरों की तुलना करने से… Continue Reading “प्रार्थना”

संघर्ष ही सफलता की सीढ़ी है।

क्या आप इस बात से सहमत हैं कि कोयला ही हीरा बनता है? या यूँ कहे कि कोई भी कार्बन आधारित पदार्थ चाहे वो राख ही क्यों न हो, हीरों में परिवर्तित होने का नर्संगिक गुण रखते हैं। सदियों तक जमीन में गहरे दबे… Continue Reading “संघर्ष ही सफलता की सीढ़ी है।”