रविवारीय प्रार्थना – आपके अन्तःकरण में सोया हुआ परमात्मा का आनन्दस्वरूप – सुखस्वरू – चैतन्यस्वरूप जल्द ही जाग जाये।

हम सब इस बात को जानते हैं कि इस विराटमय परब्रह्म परमात्मा को हम सब अपने भीतर समाये हुये हैं और हर घड़ी उनका ये दिव्य स्वरूप अपने पूर्ण बल, तेज, ओज, आनंद और प्रेम सहित हम में से प्रकट होने की प्रतिक्षा करता रहता है।

आज एक पल के लिये जरा सोचिये की आखिर परमात्मा की मौजूदगी हमारे भीतर होने के बावजूद क्यों हमे उनकी अनुभूति नही हो पाती है? क्यो हम उन्हें अपने भीतर से प्रकट होने से वंचित रखते हैं?

मेरा मानना है कि ऐसा इसलिए होता है कि हम उन्हें पूर्ण रूप से समर्पित ही नही हो पाते हैं। कार्य, बात-व्यवहार और सोच द्वारा जो पापतुल्य वर्णित हैं वो ही कार्य करते रहते हैं, जीवनशैली जीते रहते हैं। हम अपनी क्षुद्रता, संकीर्णता या स्वार्थपरता को पूरी तरह से त्याग कर परम सत्ता की दिव्यता – महानता से एक हो ही नही पाते हैं।

जैसे आग में पड़ने पर बबूल, आम और चन्दन सभी अग्निमय होकर एक सा स्वरूप प्राप्त कर लेते हैं। अग्नि को समर्पित होते ही ये सब अपने अपने गुणों को छोड़कर अग्नि के गुण प्राप्त कर लेते हैं। वैसे ही जब हम उन्हें तन से, मन से, बुद्धि से पूरी तरह समर्पित हो जाते हैं तो उनके गुणों से अलंकृत हो जाते हैं। फिर वे ही वे रह जाते हैं और आप का वजूद मिट जाता है।

इसीलिये अहंभाव से सर्वथा शून्य हो कर उनके द्वारा निर्देशित कार्य, उन्ही के हाथ का यंत्र बन कर, भगवानमय होकर उन्हीं के लिए कार्य करना ही प्रार्थना है। अपने तन-मन-बुद्धि से सिर्फ वो पुण्यशील काम करना जो हमें महान बनाये वो प्रार्थना है। केवल सदुद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपने शरीर और मन को लगाये रखना प्रार्थना है। अपने भीतर स्थित जो अनंत, सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ विराजमान हैं उनकी वाणी सुनकर तदनुकूल जीवन पथ पर चल कर जीवन लक्ष्य को प्राप्त करने का निरन्तर प्रयास करना ही सच्ची प्रार्थना है।

आज मेरे आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना है कि आपके अन्तःकरण में सोया हुआ परमात्मा का आनन्दस्वरूप – सुखस्वरू – चैतन्यस्वरूप जल्द ही जाग जाये। आप में आत्म-गौरव के भाव प्रस्फुटित होने लगें और आपके सभी वचनों, व्यवहार, स्वभाव और कार्यों से परमात्मा के गुणधर्म प्रकट होने लगें।

आज उनसे ये भी प्रार्थना है कि आपका जीवन धन्य बन जाये और आपके हृदय में सुख-शान्ति, सन्तोष और सम्पन्नता का तेजी से समावेश होने लगे। आप दीर्घायु हों और सदैव स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें। मंगल शुभकामनाएं 🙏

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।

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