Manifestation • Mindset • Abundance • Blessings Your future self has brought you here. Time to Align, Attract & Evolve, Now🦸
मुझे लगता है कि हम सब इतने समर्थ है कि जब चाहें जब परमात्मा या उनकी देवसत्ता से एकीकृत हो सकते हैं। तो फिर ये सवाल उठता है कि होते क्यों नही हैं?
मुझे लगता है कि हम अपने निम्न स्तर के आचरण, व्यवहार और कर्मों की वजह से उनकी अनुभूति नही कर पाते हैं, उन्हें अपने या दूसरों में देख नही पाते हैं।
ईश्वरीय अनुग्रह की जो अमृत वर्षा सर्वत्र अनवरत रूप से हो रही है उसमें भीगने के लिए कोई विशेष प्रयत्न नही करने होते हैं बस अपने जीवन, अपनी सोच – विचार, बातों और अपने कर्मो को उन्हें समर्पित करना होता है। जैसे ही हम अपने कर्मों को उनके द्वारा किये गए उन्हें ही समर्पित कर्म बना लेते हैं, उनका और हमारा वजूद एक-दूसरे का पूरक बन जाता है और हमारे भीतर उनके प्रासादिक (भगवदीय) गुण उत्पन्न हो जाते हैं जिससे हर कही हुए बात और हमारे द्वारा किये गए कार्य दिव्य हो जाते हैं और हर परिस्थिति में और हर जगह भगवद दिव्यता और भव्यता का अनुभव होने लगता है।
इस बात को ऐसे समझते हैं कि जब हम कोई भी वस्तु भगवान को अर्पित करते हैं, उन्हें भोग लगाते हैं, तो वो वस्तु उन्हें भोग लगाने के बाद, उन्हें समर्पित करने के बाद प्रसाद बन जाती है, दिव्य हो जाती है। बस जैसे ही हमारा संपूर्ण जीवन चौबीसों घंटे प्रसादमय हो जाता है, सत् चित् आंनद स्वरूप की अनुभूति तथा जगत में सर्वत्र परमात्मा की समुपस्थिति का अनुभव होने लगता है और जीवन दिव्य होने लगता है, ऊंचा उठने लगता है।
इसीलिए अपने लालच, अहंकार, दुर्विचारों औऱ दुर्भावनाओं की जो मोटी मलिन परत हमने अपने दिल दिमाग पर चढ़ा रखी है, उसे उतार कर अपने हृदय की पवित्रता बनाये रखना, मन को शुद्ध रखना, सन्तुलित रहना, अपने शब्दों और वायदों पर कायम रहना और शुभ कर्मों का ही करना तथा सच्चे मन से उनका चिंतन मनन करना ही हमारी सर्वोच्च प्रार्थना है और यही प्रार्थना हमें उन के अनुग्रह का सही पात्र बनाती है।
याद रखिये की परमात्मा कोई लोभ – लालच नही है, कोई धोखा धड़ी या धमकी नही है, कोई झांसा या चमत्कार नही है, वे तो प्रेम, सद्भाव, सम्मान, उदारता, विनम्रता, सरलता, सहजता और महानता में है। इसीलिये हमारे भीतर की मूल ईश्वर-चेतना को जागृत करे रखना, उनके गुणों को आत्मसात करे रखना, उनका निरन्तर नाम जप करना और अपना प्रसादमय भाव तथा प्रभाव बनाये रखना ही प्रार्थना है।
सब मंगल कामनाओं को पूर्ण करने वाले मेरे आराध्य प्रभु से आज मेरी प्रार्थना है की आपके अन्त:करण में सात्विक वृत्तीयां और दैवीय गुणों का जल्द ही प्रस्फुटन हो जाये जो आपके जीवन उन्नयन और उत्कर्ष में सहायक सिद्ध हो।
आपकी सोच और गतिविधियां जल्द ही “लौकिक से अलौकिक’ में परिवर्तित हो जाये, इसी कामना के साथ साथ मैं आज उनसे ये भी प्रार्थना करता हूँ कि आप सदैव स्वस्थ रहें और दीर्घायु हों तथा आपको जगत की संपूर्ण उपलब्धियां और खुशियां जल्द ही प्राप्त हो जायें। मंगल शुभकामनाएं 💐
