रविवारीय प्रार्थना – अपने ह्रदय को परमात्मा का केंद्रबिंदु मान कर या फिर यूं कहें कि बना कर अपने अन्तस् से अपने अस्तित्व से उनके आनंदस्वरूप की झलक देना, प्रकट करना ही प्रार्थना है।

हम सब जानते हैं कि हमारे लिये जीवन से बड़ी और कोई बात नहीं है। एक मायने में जीवन ही अपनी पूर्णता में ये ब्रह्मांड है, सृष्टि है और परमात्मा है। जो जीवन ऊर्जा है हमारे भीतर, पौधों में, पक्षियों में, आकाश में, तारों में, वह जो हम सबका जीवन है, वही तो परमात्मा है, एक मायने में।

फिर सवाल ये उठता है कि कैसे इतने महत्वपूर्ण जीवन को अधिकतर लोग केवल साधारण, मामूली और अरोचक चीजों को इकट्ठा करने में तथा अपने अहंकार को पोषित और सजाने में बिता देते हैं। क्यों वे इसे स्वयं में विराजित परमतत्त्व को ढूंढने में और दिव्य ऊर्जा को विकसित करने में नही बिताते हैं। क्यों इसे उस अमूल्य को प्राप्त करने में नही लगा कर रखते हैं जो हमारे जीवन का मूल उद्देश्य है।

मैं आपको याद दिला दूं की आपके विचार, सोच, दैनिक गतिविधियां, स्मृतियां, अनुभूति, कल्पना, कामना, संकल्प आपकी सृष्टि बनाते हैं उसे आकार देते हैं। आप अपनी ऊर्जा से देवता बन सकते हैं… पशु बन सकते हैं, भूत-पिशाच बन सकते हैं… आप कुछ भी हो सकते हैं, बन सकते हैं या बना सकते हैं।

जब हम सब इतने समझदार हैं, सक्षम हैं, समर्थ हैं, शक्तिशाली हैं तो परमात्मा द्वारा बताएं गये मार्ग पर चल कर चिर स्थायी आनंद, शाश्वत सुख और पूर्णता क्यों नही प्राप्त करते हैं। ये महत्वपूर्ण सवाल है, गौर करियेगा।

इसीलिये मेरे हिसाब से अपने ह्रदय को परमात्मा का केंद्रबिंदु मान कर या फिर यूं कहें कि बना कर अपने अन्तस् से अपने अस्तित्व से उनके आनंदस्वरूप की झलक देना, प्रकट करना ही प्रार्थना है। अच्छी सोच रखना, उच्च विचार रखना, निरन्तर अच्छे कार्य करना ही प्रार्थना है।

आज मेरे आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना है की आपके भीतर से परमात्म तत्व की विभूती की झलक जल्द ही सभी को दिखाई पड़ने लगे जाये। आप अपने सेवा भाव, विनम्रता, सहजता, सरलता, श्रेष्ठता, सत्कर्म प्रीति और शुभ कर्मों के कारण अनन्त काल तक स्मरणीय और वन्दनीय बने रहें ।

मेरी उनसे आज ये भी प्रार्थना है की आप हमेशा हंसते और खिलखिलाते रहें, स्वस्थ रहें तथा आपके घर-आंगन में सदा शुभता और मांगल्य की वर्षा होती रहे। मंगल शुभकामनाएं 💐

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।

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