रविवारीय प्रार्थना – जीवन यात्रा को जबरदस्ती तय करने की बजाय, जबरदस्त तरीके से होंश में – आनंद से – प्रेम से तय करना ही सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना है।

लगभग हम सभी को ये मालूम है कि हमारा सारा जीवन एक यात्रा है और हम सब जाने अनजाने में जन्म से ही अपनी पूर्णता हासिल करने की यात्रा में हैं।

आज मेरा बस यही कहना है कि इस यात्रा के बारे में सचेत हो जायें। यकीन मानिये की जिस दिन भी हम अपनी इस जीवन यात्रा को पहचान लेते हैं, इसके प्रति सचेत हो जाते हैं बस उसी दिन से ये यात्रा केवल पूर्णता प्राप्त करने की नही बल्कि मृत्यु से अमरता की ओर, व्यर्थ से सार्थक की ओर, असत्य से सत्य की ओर, अन्धकार से प्रकाश की ओर, सीमित से अनन्तता की ओर, बाहर से भीतर की ओर यानी कि स्वयं से परमात्मा की ओर हो जाती है।

अपने स्वयं के अस्तित्व के प्रति अत्यधिक सचेत हो जाना सजग होना ही, इस यात्रा का प्रथम बिंदु है, प्रारंभ है और उस बिंदु पर आना, जहां आकर आप अपने प्रति और इस सृष्टि के प्रति पूरी तरह होशपूर्ण और सजग हो जाओ, जहां आपके चारों ओर अंधकार का कोई छोटा सा टुकड़ा भी न बचे आपकी यात्रा का अंत है।

इसीलिए मेरा मानना है कि अपने शब्दों, कथनों, विचारों, वायदों, छोटे से छोटे कार्यों के प्रति अधिक से अधिक सजग हो जाना, अपने कर्तव्यों, सम्बन्धों तथा गतिविधियों के बारे में सचेत, सजग और होशपूर्ण हो कर शुद्ध भावना के साथ अहोभाव से भरे रहकर उनका नामजप करते रहना ही हमारी सर्वोच्च प्रार्थना है।

अपने जीवन को गतिशील बनाए रखना प्रार्थना है। इस जीवन यात्रा को जबरदस्ती तय करने की बजाय, जबरदस्त तरीके से होंश में – आनंद से – प्रेम से तय करना ही सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना है।

मेरी आज मेरे आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना है कि छोटी से छोटी चीज जो आप करें वो सब अपने आप मे धार्मिक कृत्य बन जाएं, एक महान अनुभव बन जाये। आपके जीवन के अधिक से अधिक क्षण होश, समझ और प्रार्थना से भरे हों, अपने भीतर के परमतत्व को प्रकट करने वाले हों।

आज उनसे ये भी प्रार्थना है कि आप ता उम्र उत्साहित बने रहें, सक्षम और ऊर्जावान बने रहें, प्रेरित और प्रोत्साहित रहें, प्रसन्नचित और स्वस्थ बने रहें, आप की सभी शुभ मनोकामनाएँ पूर्ण हों, आपके सभी शुभ संकल्प और व्रत फलीभूत हों तथा आपकी जीवन यात्रा का मार्ग सदैव सफलता, विकास और उल्लेखनीय उपलब्धियों से सुशोभित हो।

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।

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