Manifestation • Mindset • Abundance • Blessings Your future self has brought you here. Time to Align, Attract & Evolve, Now🦸
मैं आप को पुनः बता दूं कि ईश्वर को खोजने की जरूरत नही है, बस सच्चे मन से मानने की जरूरत है और ईश्वर को मानने का मतलब है हर चीज के अस्तित्व को स्वीकार करना… किसी भी एक चीज के वजूद को नकारने का मतलब है ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार न करना…
वे ही तो इस सृष्टि के रोएं रोएं में हैं, श्वास श्वास में हैं, उन्होंने ही तो आपको सब तरफ से घेरा हुआ है। बस उन्हें यानी के सृष्टि में मौजूद हर चीज के अस्तित्व को स्वीकार करते ही जादू होना शुरू हो जाता है।
ये स्वीकार जादुई है. यही हमारे रूपांतरण का मंत्र है।
लेकिन शायद ये आसन सी लगने वाली बात ही सबसे मुश्किल काम है, कम से कम हमारे लिये तो। समस्त अस्तित्व की बात तो छोड़ ही दें, हम अपने आस पास के लोगों, चीजों, इस क्षण, और स्वंय को भी पूरी तरह स्वीकार नही कर पाते हैं।
अपनी देह, अपने मन, अपनी परिस्थितियों, अपने कर्तव्यों को और अपने व्यक्तित्व को बिना किसी निंदा, तुलना या अहम् के स्वीकार करना और इस समझ में ठहर जाना कि इस क्षण आप जैसे भी हो वैसे ही ये अस्तित्व चाहता है, सृष्टि चाहती है, ईश्वर चाहता है। कारण वारण को खोजने या उसकी ज्यादा चिंता करने की जरूरत नही है। बस खुद को और बाकी सब को भी पूरी तरह स्वीकार करना आपको रूपांतरित करके प्रसन्नता और शांति के स्रोत से जोड़ देने के लिये काफी है।
याद रखिये की वर्तमान क्षण में जो हमारी जिम्मेदारी है, कर्तव्य हैं, प्रतिबद्धतायें हैं उन्हें स्वीकार करना, आत्म अनुशासन को बढ़ाना, आत्म बोध को बढ़ाना, ये मानना कि ये जो जीवन है वो पूरा है….., बस इन सब बातों को होशपूर्वक मानना ही प्रार्थना है, स्वीकार की ओर जाना है, उस मूलस्रोत गंगोत्री (यानी के परमात्मा) की ओर जाना है जंहा से हमारी गंगा चली है। स्वयं को बीते कल से बेहतर बनाना ही सर्वोत्तम प्रार्थना है।
आज मेरे आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना है कि आपके आत्मसंवरण के सभी प्रयास तेजी से सफल हों और आपका जीवन सिद्धि का मार्ग प्रशस्त हो।
प्रभु से ये भी प्रार्थना है की आपकी सोच, आपके विचार और आपकी दैनिक गतिविधियां आपकी उन्नति, उत्कर्ष एवं प्रगति में सतत सहायक सिद्ध हों तथा आने वाले दिन आपके लिए तमाम खुशियां, उत्तम स्वास्थ्य, उन्नति, प्रगति और उत्कर्ष लायें।
श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।
