रविवारीय प्रार्थना – अस्तित्व की मंगलमयता पर विश्वास बनाये रखना ही प्रार्थना है।

हम सब उन करोड़ो जीवों को अविकसित, अज्ञानी और मूर्ख बताते नही थकते हैं जो हमसे करोड़ो साल पहले से इस धरती पर मौजूद थे और शायद हमारे बाद में भी करोड़ों साल तक धरती पर रहेंगे.. जान लीजिए कि उनकी नस्ल की नस्ल पहले भी थी और कभी खत्म होने वाली नही है।

इसके कई कारण हो सकते हैं, पर मुझे लगता है उसका प्रमुख कारण है, सहजता, संतोष और केवल इस क्षण में जीना। जो कर्म उन्हें जन्म से मिलता है उसे वे सर्वश्रेष्ठ तरीके से करते रहते हैं। जो स्व-भाव, स्वरूप, गुण, सिफ़त, जो भूमिका उन्हें इस जीवन में जन्म से मिलती है – उसे बस पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाते रहते हैं।

वे सब सत्य, सहज, स्वत्व से युक्त, संपूर्ण चेतना और धारणा के साथ अस्तित्ववान रहते हुए हर क्षण जीते हैं। और अनजाने में ही सही मगर इस अनित्य जगत में नित्य आनन्द स्वरूप बने रहते हैं।

और हम उनकी इसी सहजता, सरलता को उनकी नासमझी और लाचारी मानते हैं.. और सब कुछ पाने, बदलने और करने के चक्कर मे अपने मूल कर्तव्यों, कर्मों और प्रतिबद्धताओं से बचते रहतें हैं जिससे न सिर्फ हमें बल्कि हमारे आश्रितों तथा परिजनों को भी अनेक प्रकार की तकलीफें उठानी पड़ती हैं।

विकास और विस्तार की आड़ में जब कुटिलता ही जीवन दर्शन और काले कारनामे करना दस्तूर बन जाये, जब कुंभकर्ण-सा आलस्य, शूर्पणखा-सी अनैतिकता और रावण सा अंहकार और क्रोध आपका व्यवहार, स्वभाव, किसी की सोच बन जाये तब मुझे बताईये की कैसे उसे हमारे प्रभु श्री राम जैसा प्रतिफल, नाम और प्रतिष्ठा प्राप्त होगी।

जो असल मे झगड़े की जड़ है, वो उम्मीद है आप समझ रहे होंगे।

इसीलिये हर क्षण पूर्णता से जीना – जीवन से लड़े बगैर, कोई छीना झपटी और कोई कुकर्म किये बगैर अपने कार्यों को अपने सर्वश्रेष्ठ तरीके से करना और कर्तव्यों और प्रतिबद्धताओं को पूरी जिम्मेदारी से निरंतर निभाना, अपने अंदर के अहंकार को बारम्बार खत्म करने का प्रयास करते रहना तथा अधिक से अधिक सहज और सरल बनने के लिये खुद को प्रेरित करे रखना प्रार्थना है। सच्चे मन से और पूरा जोर लगा के पुरुषार्थ करना और फिर जो आये, समझना कि वही उचित मजदूरी, मजूरी है – जो आये वह प्रसाद भाव से स्वीकार करना, बस यही ईश्वर की हजूरी है – उनकी प्रार्थना है।

मैं आज अपने आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना करता हूँ कि आपको जल्द ही अस्तित्व की मंगलमयता पर विश्वास होने लगे और आपके शोक, कष्ट, चिंता, निष्क्रियता, संदेह और भय बिल्कुल खत्म हो जायें। आपके समर्पित भाव, आपकी उत्कृष्ट सोच तथा दैनिक दिनचर्या प्रभावकारी हो जाये और आपको प्रभु तक ले जाने का मार्ग बन जाये तथा आपको न सिर्फ स्वंय से बल्कि समस्त से, सबसे एवं अनंत से जोड़ दे।

आपको सब कुछ प्राप्त हो जाये – चिरस्थायी प्रसन्नता एवं सन्तोष, शान्तिपूर्ण तथा प्रशान्त परमानन्द की स्थिति, प्रकाश, शक्ति, परज्ञा तथा भगवान्‌ की प्रचुर कृपा, इस मंगलकामना के साथ साथ मैं आज उनसे से ये भी प्रार्थना करता हूँ कि आपकी आत्मिक प्रगति तेज गति से हो और आपको लौकिक एवं पारलौकिक अनुकूलताएँ सहज ही प्राप्त हों जायें 🙏

श्री रामाय नमः। श्री राम दूताय नम:।

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