रविवारीय प्रार्थना – संसार में जन्म लेने के बाद आपका मूल उद्देश्य केवल इस शरीर को खिलाना पिलाना, पेट को बढ़ाना और अपने अहंकार को पोषित करना नही है।

मैं आपको पुनः याद दिला दूं कि इस सृष्टी में मौजूद सभी चीजों की तरह आपका और मेरा जीवन भी परमात्मा का अंश – उनकी धरोहर बनकर पैदा होता है और अपना अपना उद्देश्य पूरा कर फिर से उन्ही के पास वापस चला जाता है।

लेकिन मजेदार बात ये है कि हम अपने उद्देश्य से इस सच से अक्सर भटक जाते हैं।

ईश्वर का उपहार स्वरूप गंगा इस धरती को उर्वर बनाने के उद्देश्य को पूरा करती हुई आखिर में उन्ही के पैर धोने के लिए वापस चली जाती है। सुंदर से सुंदर फूल भी अपनी सुगंध से हवा को मधुर और ताज़ा बना कर अंत में भगवान के चरणों मे अर्पित हो कर, अपनी अंतिम सेवा देकर लुप्त हो जाते हैं। इसी प्रकार हम सब को भी अपने-अपने कर्म क्षेत्र में अपने कर्तव्यों का, अपनी प्रतिबद्धताओं का जिम्मेदारी से पालन कर अपने सर्वोच्च उद्देश्यों को पूरा कर अंततः अपने स्रोत अपने मूल में विलीन हो जाना होता है।

संसार में जन्म लेने के बाद आपका मूल उद्देश्य केवल इस शरीर को खिलाना पिलाना, पेट को बढ़ाना और अपने अहंकार को क्षण-क्षण में पोषित करना नही होता है। दिन और रात व्यर्थ के कार्यकलापों और सो कर बिताने के लिये नही है।

हमारी संस्कृति में ऐसे अनेक महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने बारम्बार ये बताया है कि मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य क्या है। श्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने हमारे लिए इस प्रश्न का उत्तर खोजना बहुत ही आसान बना दिया है।

उन्होंने रामचरितमानस में लिखा है,

‘जिन्ह हरिभगति हृदयँ नहिं आनी। जीवत सव समान तेइ प्रानी।
जो नहीं कर राम गुनगाना। जीह सो दादुर जीह समाना।।

अर्थात जिसके हृदय में भगवान के प्रति भक्ति नहीं होती, वह प्राणी जीवित रहते हुए भी शव के ही समान होता है। तात्पर्य यह कि हृदय में भक्ति का होना ही हमारे जीवित होने अथवा जीवंतता का प्रमाण है और वस्तुत: यही जीवन का मूल उद्देश्य भी है।

अतः अपने अन्तःकरण में भगवदीय भाव बनाये रखना, नित्य सत्प्रवृत्तियों, सेवाकार्यों और सत्संग में संलग्न रहना, स्वंय को जगा कर रखना और सभी को जगाने का प्रयास करना प्रार्थना है।

सरल- निश्छल, राग-द्वेष रहित सत्यान्वेषी अन्तःकरण के साथ अपने जीवन को उत्कर्ष तथा इस संसार को सुंदर बनाने का प्रयास ही हमारी प्रार्थना है।

मैं आज अपने आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना करता हूँ कि आपको अपने जीवन के उच्चतम उद्देश्यों और श्रेष्ठतम शिखर की प्राप्ति हो तथा आपको जल्द ही उनकी कृपा और परमानन्द की भी प्राप्ति एवं अनुभूति हो जाये।

मेरी उनसे आज ये भी प्रार्थना है की आप हमेशा हंसते और खिलखिलाते रहें, स्वस्थ रहें तथा आपके घर-आंगन में सदा शुभता और मांगल्य की वर्षा होती रहे। मंगल शुभकामनाएं 💐

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।

Leave a comment