श्री कृष्ण का जीवन और दर्शन आपका पाथेय बन जाये, ऐसी आज अंतर्मन से प्रार्थना है।

कल श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बड़ी धूमधाम और श्रद्धा के साथ दुनिया भर में मनाया गया। ये त्यौहार हर साल कृष्ण भक्तों को अद्भुत आध्यात्मिक आनंद से भर देता है और इस दिन भक्ति की पवित्र लहरें मन में हिलोरें मारने लगती हैं। कल मैं जब दिन में 3 बजे इस्कॉन ईस्ट ऑफ कैलाश भगवान के दर्शन के लिये गया तो पाया कि हर वर्ग के लोग दूर दूर से उत्साह, जोश और जुनून के साथ भगवान के दर्शन के लिये आये हैं। हर्षोल्लास भरी भरी भीड़ के रेले के रेल आ रहे थे।

एक अनुमान के अनुसार भगवान 5000 वर्ष पहले हमारे बीच अवतरित हुए थे और आज भी हमारे दिलों में असीम प्रेम, निस्वार्थ भाव, करुणा, त्याग, न्याय, सौंदर्य और अच्छे संस्कार के रूप में जीवित हैं। उन्होंने अपने जीवन प्रसंगों और गीता के आधार पर कई ऐसे नियमों और जीवन सूत्रों को प्रतिपादित किया है, जो आज भी पूर्णतः लागू होते हैं।

श्रीकृष्ण ने मनुष्य जाति को नया जीवन-दर्शन दिया, जीने की एक नई शैली सिखलाई। श्री कृष्ण का व्यक्तित्व और कृतित्व बहुआयामी और बहुरंगी है, यानी बुद्धिमत्ता, चातुर्य, युद्धनीति, आकर्षण, प्रेमभाव, गुरुत्व, सुख, दुख और न जाने कितनी विशेषताओं और विलक्षणताओं को स्वयं में समेटे हुए है। एक भक्त के लिए श्रीकृष्ण भगवान हैं, तो वंही सरल-निश्छल ब्रजवासियों के लिए वह रास रचैया – माखन चोर, गोपियों की मटकी फोड़ने वाले नटखट कन्हैया और गोपियों के चितचोर हैं। एक ओर वे राजनीति के ज्ञाता तो दूसरी ओर दर्शन के प्रकांड पंडित।

अलौकिक प्रेम और अतुलनीय दयाभाव के उद्घोषक भगवान श्री कृष्ण दार्शनिक, चिंतक, गीता के माध्यम से कर्म और सांख्य योग के संदेशवाहक और महाभारत युद्ध के नीति निर्देशक भी थे। गीता में यही भावाभिव्यक्ति भी है- हे अर्जुन! जो भक्त मुझे जिस भावना से भजता है मैं भी उसको उसी प्रकार से भजता हूं।

श्रीकृष्ण ही अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जो धर्म की परम गहराइयों व ऊंचाइयों पर जाकर भी एक पल के लिये भी न तो गंभीर ही दिखाई देते हैं और न ही उदासीन दीख पड़ते हैं, अपितु हर पल पूर्ण रूप से आनंदमय और जीवन शक्ति से भरपूर दिखाई पड़ते हैं। श्रीकृष्ण के चरित्र में नृत्य है, गीत है, प्रीति है, समर्पण है, हास्य है, रास है, और है आवश्यकता पड़ने पर युद्ध को भी स्वीकार कर लेने की मानसिकता भी है।

एक हाथ में बांसुरी और दूसरे हाथ में सुदर्शन चक्र लेकर महाइतिहास रचने वाला कोई अन्य व्यक्तित्व नहीं हुआ इस संसार में। श्रीकृष्ण के चरित्र में कहीं भी किसी प्रकार का निषेध, प्रतिवाद, मुकरना या नटना नहीं है। जीवन के प्रत्येक पल को, प्रत्येक पदार्थ को, प्रत्येक घटना को समग्रता के साथ सहज भाव से स्वीकार करने का भाव है। वे प्रेम करते हैं तो पूर्ण रूप से उसमें डूब जाते हैं, मित्रता करते हैं तो उसमें भी पूर्ण निष्ठावान रहते हैं और जब युद्ध स्वीकार करते हैं तो उसमें भी पूर्ण स्वीकृति होती है।

जब एक ड्राइवर को विभिन्न सड़क स्थितियों जैसे तीखे मोड़, खड़ी ढलान और गड्ढों का सामना करना पड़ता है, तो वह अपनी गाड़ी का गियर बदलता, स्पीड बदलता है न की उनसे बच कर गाड़ी चलाना बन्द कर देता है। उसी तरह, श्री कृष्ण भगवान ने दिखाया कि कैसे अपने पूरे जीवन को आनंदमय और उत्सवमय बनाया जा सकता है बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हर चुनौती और हर तकलीफ के बावजूद।

श्री कृष्ण में हम संपूर्ण जीवन का चित्र देखते हैं ।श्रीकृष्ण ने मनुष्य जाति को नया जीवन-दर्शन दिया, जीने की शैली सिखलाई। उनकी जीवन-कथा चमत्कारों से भरी है, लेकिन वे हमें जितने करीब लगते हैं, उतना और कोई नहीं। वे ईश्वर हैं पर उससे भी पहले सफल, गुणवान और दिव्य मनुष्य हैं। ईश्वर होते हुए भी सबसे ज्यादा मानवीय लगते हैं। इसीलिए श्रीकृष्ण को मानवीय भावनाओं, इच्छाओं और कलाओं का प्रतीक माना गया है। हम सब जानते हैं कि जब किसी व्यक्ति में प्रेम, कोमलता, ज्ञान, वैराग्य, धैर्य, उदारता, करुणा और साहस के सभी नव रस होते हैं गुण होते हैं तो वह जीवन में हर परिस्थिति को सहज भाव से स्वीकार करने में सक्षम होता है और दूसरे लोगों को भी उच्च कोटि का जीवन जीने के लिये प्रेरित करता है।

भगवान श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व भारतीय इतिहास के लिए ही नहीं, विश्व इतिहास के लिये भी अलौकिक और अद्भुत व्यक्तित्व है और सदा रहेगा। एक ऐसा व्यक्तित्व जिसकी तुलना न किसी अवतार से की जा सकती है और न ही संसार के किसी महापुरुष से। वे अजन्मा होकर भी पृथ्वी पर जन्म लेते हैं, मृत्युंजय होने पर भी मृत्यु का वरण करते हैं, वे सर्वशक्तिमान होने पर भी जन्म लेते हैं तो कंस के बन्दीगृह में। वे हमारी संस्कृति के एक विलक्षण महानायक थे और सदा रहंगे।

मेरा आप से अनुरोध है कि आप श्रीकृष्ण के चकाचौंध करने वाले वंदनीय पक्ष की जगह अनुकरणीय पक्ष की ओर ज्यादा ध्यान दें ताकि आप भी उन्ही की तरह छल और कपट से भरे इस युग में धर्म के अनुसार आचरण कर सकें तथा जटिलताओं के चक्रव्यूह से न् सिर्फ खुद को बल्कि अपने पूरे समाज को भी निकाल सकें।

श्री कृष्ण का जीवन और दर्शन आपका पाथेय बन जाये। आपका जीवन सदा कृष्णमय बना रहे। आपके भीतर छिपा हुआ ‘कृष्ण’ जल्द ही बाहर आ जाये। आप भी प्रेम, युद्ध एवं हर तरह के संघर्षों में उन्ही की तरह मुस्कराते रहें और आनंदमय बने रहें, ऐसी आज अंतर्मन से प्रार्थना है।

मंगल शुभकामनाएं 💐

Leave a comment