रविवारीय प्रार्थना – हम कभी भी परमात्मा तक नहीं पहुँचते हैं। जब भी हम तैयार होते हैं, परमात्मा स्वयं हमारे पास आते है।

अगर आप मुझ से पूछेंगे तो मैं कहूंगा कि भगवत्ता ही हमारा असली स्वभाव है और ईश्वर जैसा हो जाना दिखना ही हमारी नियति है। लेकिन हमें इस बात का ध्यान नहीं रहता है क्योंकि हज़ारों हजार नए खयाल रोज़ सर पर चढ़ कर नाचने लगते हैं।

इसीलिये अपने स्व-भाव मे आने की और ईश्वर ( मेरा मतलब उन जैसे गुण धर्म से है) जैसा होने की प्रक्रिया जन्म-जन्मांतर तक चलती रहती है… और किसी भी जन्म में घटित हो जाती है… जैसे ही घटना घटित होती है मोक्ष प्राप्त हो जाता है।

हो सकता आपकी मेरी ये प्रकिया इस बार पूरी हो जाये। इसलिए इस बार हमें जी जान लगा कर पूरी कोशिश करनी चाहिये कि जो हम असल मे हैं या जो हो सकते हैं उसको देखना-मानना-होना शुरू कर दें। पूरे होश में आ जायें। क्योंकि एक बार हम होश में आ गये तो क्षणभंगुर सुख के लालच में कोई भी तुच्छ – नीच – पापकृत्य हमारे हाथों होगा ही नही। और अगर कोई ऐसा कृत्य नही होगा तो स्वभाविक रूप से फूलों की वर्षा होनी शुरू हो जाएगी, अम्रत बहना शुरू हो जायेगा और हमें देर सबेर परमभोग प्राप्त हो ही जायेगा।

इसीलिये मेरा मानना है कि अपने आप को अपने ईश्वर जैसा बनाने की दिशा में प्रयासशील होना, सचेतन और तत्पर बनाये रखना प्रार्थना है। जागते-सोते, उठते-बैठते एक ही स्मरण रहे कि आप परमात्मा जैसे हो सकते हो प्रार्थना है।

शुरू-शुरू में चूक हो सकती है, भूल हो सकती है, हो सकता है आप से धागे में फूल पिरोये न जायें, यंहा वँहा गिर जायें।पर अगर आप धागे को मजबूती से पकडे खड़े रहे और एक के बाद एक फूल पिरोने का प्रयास करते रहे तो जैसा बुद्ध कहते हैं, वही मामूली धागा आपके फूलों को एक सुंदर सी माला बना देगा।

और जैसे ही ये माला बन जाती है तैयार हो जाती है विश्वास मानिये वह खुद ही झुक आता है, वह स्वयं अपनी गर्दन आपकी माला में डाल देता है। क्योंकि उस तक, उसके सिर तक, आपके हाथ तो कभी भी पहुंच ही नही पाएंगे। न इस बार और न किसी भी आने वाले जन्म में। बस, आपकी माला तैयार हो जानी चाहिये, वह खुद आप तक पहुंच जाते हैं।

याद रखिये की हम कभी भी परमात्मा तक नहीं पहुँचते हैं। जब भी हम तैयार हो जते हैं, परमात्मा स्वयं हमारे पास आते है।

मेरी अपने आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना है कि आपकी मनोवृत्तियाँ भौतिक प्रपंचों और बौद्धिक विभ्रमों से जल्द ही मुक्त होकर आत्म-जागरण – संवरण में लग जाये जिससे आपका आने वाला प्रत्येक नया दिन गौरवपूर्ण हो जाये तथा आपका जीवन धन्य हो जाये।

मेरी उनसे आज ये भी प्रार्थना है की आप हमेशा हंसते और खिलखिलाते रहें, स्वस्थ रहें तथा आपके घर-आंगन में सदा शुभता और मांगल्य की वर्षा होती रहे। मंगल शुभकामनाएं 💐


श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।

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