रविवारीय प्रार्थना – अपने धर्म-कर्म और मुक्तिबोध पर अडिग रहना, सरल- सहज और निर्मल हो जाना।

शुभ प्रभात प्यारे दोस्तों, सप्रेम हरि स्मरण 🙏

कितना नामुमकिन सा काम है किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढना जो कुछ भी सही-गलत करके बस वैभव, संसाधनों, प्रतिष्ठा, यश और खुशियों को हासिल करने की जल्दी में नही हो, जो अहंकार, प्रक्षेपणों, बेकार की इच्छाओं और जरूरतों से मुक्त हो चुका हो – ऐसा व्यक्ति जो कुछ भी नियंत्रित करने, काबू करने, किसी से अनावश्यक प्रतिस्पर्धा करने या कोई और दूसरा बनने की इच्छा से प्रेरित नहीं हो। है न, ये बहुत मुश्किल।

अगर मैं कह रहा हूँ कि ऐसा व्यक्ति ढूंढ़ना नामुमकिन काम है तो स्वयं ऎसा बनना कितना ही दुर्लभ, दुष्कर और दुःसाध्य होगा, जरा सोचियेगा।।

आज मैं मुक्तिबोध या यूँ कहूँ के आध्यात्मिकता के इसी पहलू और विचार को आपके ध्यान में लाने की कोशिश कर रहा हूँ जो वास्तव में हमें निरन्तर फैलते ब्रह्माण्ड की असीमता का हिस्सा और ईश्वर की कृपा अनुभूति कराता है। यही बोध हमें इस जीवन की सुंदरता का अहसास कराता है और असल मे जो आध्यात्मिक उन्नति है उस की और त्वरित गति से बढाता है।

हम सब जानते हैं कि परमात्मा असल मे तो निराकार हैं। वे साकार रूप में या मनोवांछित रूप में हमें अनुभव नहीं होंगे, कम से कम हमें तो कभी भी नही। वे केवल किसी भी अन्य व्यक्ति, वस्तु या समय के रूप में ही हमें अनुभव हो सकते हैं वो भी जब हम अपने धर्म-कर्म और इस मुक्तिबोध पर अडिग रहते हैं, पूर्णतया सरल – सहज और निर्मल हो जाते हैं।

मेरा मानना है की जब आप अपनी संस्कृति और जीवन मूल्यों का अनुसरण – अनुपालन करते हुए आनंद के साथ अपने कर्म करते रहते हैं तो आपके जीवन में उच्चतर अवस्थाएं और उपलब्धियां सुलभ और संभाव्य हो जाती हैं।

ऎसा व्यक्ति होना आज के समय मे थोड़ी सी कठिन बात जरूर है…☺️…मगर असंभव नहीं। मेरा मानना है कि इस प्रकार का व्यक्ति बनने का निरन्तर प्रयास ही हमारी सही मायने में प्रार्थना है।

मैं आज अपने आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना करता हूँ कि वे आपकी सहायता और मार्गदर्शन करें जिससे आप का चिंतन शुभ हो जाये, आपका अन्तस् सरल-सहज-निर्मल हो जाये और आप मुक्तिबोध तथा यथार्थ बोध की और लगातार बढ़ पायें।

उनसे ये भी निवेदन है की वे आपको सदैव ऊर्जा पूर्ण, स्वस्थ और सुह्रदय बनाये रखें जिससे आपके जीवन मे जल्द ही सौभाग्य का नया सवेरा हो और आने वाला प्रत्येक नया दिन आनंद एवं शुभता से परिपूर्ण बना रहे। मंगल शुभकामनाएं।

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।

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