रविवारीय प्रार्थना – ईश्वरतत्व को अपने भीतर से प्रदर्शित करने का प्रयास ही प्रार्थना है।

ये जीवन और समस्त सृष्टि जानती है कि ईश्वर हर कण में मौजूद हैं, आप मे, मुझ में और हम सभी में। लेकिन सवाल ये है कि क्या हम सब इस बात को सच मे मानते हैं? सही मायने में मानते हैं?

क्योंकि अगर हम इस बात को सच से मानेंगे तो हमारा आचार, विचार, व्यवहार और स्वभाव बदल जायेगा। हमारे कार्यों का, प्रत्येक प्रयास का उद्देश्य बदल जायेगा।

जब आपको अपने अंदर बाकी सब बातों से ज्यादा और आपके अपने “मैं” से ज्यादा वे महसूस होने लगते हैं तब स्वभाविक रूप से उठते, बैठते, सोते, जागते; अकेले में, भीड़ में, हर बात में, आचरण में, व्यवहार में, प्रतिक्रिया में, दैनिक कार्यों और कारनामों से वे ही प्रदर्शित होने लगते हैं।

इसीलिये मेरा मानना है कि अपने आप को अपने ईश्वर जैसा बनाने दिखाने की दिशा में प्रयासशील बनाये रखना प्रार्थना है। उनके नाम जप के साथ एक ही स्मरण बनाये रखना की  कि आप कभी भी परमात्मा जैसे (या फिर परमात्मा ही) हो सकते हो प्रार्थना है।

आज मेरी अपने आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना है कि आपकी मनोवृत्तियाँ भौतिक प्रपंचों और बौद्धिक विभ्रमों से जल्द ही मुक्त होकर आत्म-जागरण – संवरण में लग जाये जिससे आपका आने वाला प्रत्येक नया दिन गौरवपूर्ण हो जाये तथा आपका जीवन खुशहाल और धन्य हो जाये।

मेरी उनसे आज ये भी प्रार्थना है की आप हमेशा हंसते और खिलखिलाते रहें, स्वस्थ रहें तथा आपके घर-आंगन में सदा शुभता और मांगल्य की वर्षा होती रहे। मंगल शुभकामनाएं 💐

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।

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