रविवारीय प्रार्थना – अपने होने को ही सृष्टि में अपना योगदान समझना।

जैसे किसी और के जलेबी खाने से आपको उसका स्वाद प्राप्त नहीं होता, उसी प्रकार न तो किसी और के किए गए कार्यों से आपको सफलता प्राप्त होती है और न ही किसी और के विचारों से असली ज्ञान 🤭।

इसीलिए यदि आपको सिद्धि या सफलता प्राप्त करनी है तो सृष्टि के नियमों के अनुसार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और कार्य निरन्तर करना होगा। यदि असली ज्ञान प्राप्त करना है तो जागरूक बनना होगा और स्वयं के विचारों को पैदा करना होगा।

और यदि आपको इस उपहार स्वरूप मिले जीवन की श्रेष्ठ संभावनाओं को साकार करना है तो आपको अपने जीवन-यापन की साधारण प्रक्रिया को, अपने शब्दों को, अपने आचार-व्यवहार को, जो कुछ भी करते हैं, यहां तक कि अपने होने को ही एक यज्ञ, पूजा पाठ और योगदान बनाना पड़ेगा।

सर्वश्रेष्ठ होने के लिये, ईश्वरीय अनुकंपा पाने के लिए या आध्यात्मिक होने के लिए अपनी जेब से पैसे निकालकर लोगों में बांटने नहीं है। मैं दिखावे के लिए किए गए दान या परोपकार की बात नहीं कर रहा हूं। मैं आपसे बात कर रहा हूं कि जो भी आप कर रहे हैं उसे इस संसार में, प्रकृति में, सृष्टि में अपना योगदान समझकर करेंगे तो वह एक प्रार्थना होगी, एक यज्ञ ही होगा। आप इसे ऐसे समझें कि अगर आप बदबूदार, फटे-पुराने कपड़े पहनकर कहीं जाएंगे, तो परिवेश कैसा दिखेगा – बनेगा और वंही अगर आप अच्छे सुंदर कपड़े पहनकर जाते हैं तो क्या फर्क पड़ेगा, आपको और अन्य सभी को कैसा महसूस होगा। इसीलिए इस बात के बारे में जागरूक बने रहना और अन्य सभी को जागरूक बनाना कि हमारा प्रत्येक शब्द, विचार और कार्य हमारे परिवेश में, समाज और परिवार में हमारा योगदान है, प्रार्थना है 🙏

अगर आपकी आत्मा आपके अस्तित्व से, आपके बोध, आपके द्वारा किए गए कार्यों से, आपके आचार-विचार-व्यवहार से, आपकी उपलब्धियों और भावनाओं से तथा आपके इस परिवेश में आपके दैनिक योगदान से संतुष्ट और प्रसन्न है तो बस ईश्वर की प्रार्थना सफलता पूर्वक हो गयी है, ऐसा मान सकते हैं।

इसीलिए आज मेरे आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना है कि आप जल्द ही आध्यात्मिक साधना का मुख्य उद्देश्य यानी अपना उच्चतम स्तर प्राप्त कर लें, जल्द ही दैवत्व की परिधि में प्रवेश कर लें और वहां से धीरे-धीरे ईश्वरीय परिधि की ओर बढ़ते चले जाएं। आपको शतायु, स्वस्थ और सानंद जीवन के लिए ढेर सारी मंगल शुभकामनाएं 💐

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।

Leave a comment